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जीएसटी क्या है और बिजनेस रजिस्ट्रेशन कैसे करें? (प्रक्रिया, फायदे, और जुर्माना)

GST Kya Hai: अगर आप किसी तरह का व्यापार करते है या कोई भी सामान का खरीद या बेच करते है तो आपको टैक्स देना पड़ेगा, जिसे जीएसटी कहते हैं। क्या आप समझते हैं जीएसटी क्या है? और आपको तकलीफ होती है जीएसटी को अपने व्यापार से जोड़ने में तो आप बिल्कुल सही जगह पर है।

जीएसटी को वस्तु एवं सुविधा कर कहते हैं। जैसा कि हम जानते है कर लेकर सरकार या देश की कमाई होती है तो जब आप किसी वस्तु या सुविधा का व्यापार करते हैं या खरीद बिक्री करते है तो आपको जिस कर को देना होता है, उसे जीएसटी कहते हैं।

GST Kya Hai
Image: GST Kya Hai

हम इस लेख में आपको जीएसटी क्या है (GST Kya Hai) और किसी व्यापार के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया क्या है?, इन सभी बातों को विस्तार से समझाने का प्रयास करेंगे। कृपया इस लेख के साथ अंत तक बने रहे।

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जीएसटी क्या है और बिजनेस रजिस्ट्रेशन कैसे करें? (प्रक्रिया, फायदे, और जुर्माना) | GST Kya Hai

जीएसटी क्या है?

सरकार का मुख्य आय टेक्स होता है और हर सरकार चाहती है इसकी प्रक्रिया को आसान से आसान बना कर रखना, जिसमें सरकार को और लोगों को समझने में आसानी हो। GST बहुत सारे टैक्स के जगह पर एक देश में एक टैक्स का काम करता है।

जीएसटी को साल 2017 में 1 जुलाई को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार द्वारा वन नेशन वन टैक्स की सोच के साथ लाया गया था, जिसका उद्देश्य देश के आर्थिक विकास को बढ़ाना है। हालांकि देश में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लाने का सर्वप्रथम विचार साल 2000 में ही आ गया था। लेकिन उसको लागू साल 2017 में किया गया।

जीएसटी का पूरा नाम गुड एंड सर्विस टैक्स होता है या एक टैक्स प्रणाली है। जहां पहले भारत में विभिन्न प्रकार के टैक्स होते थे, वहीं अब केवल जीएसटी के माध्यम से केवल एक ही प्रकार का टैक्स लगेगा, जिसमें पहले वाले सभी टैक्स शामिल है।

इस तरह जीएसटी के माध्यम से पहले सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, वेट और करीब 12 सेस को खत्म कर दिया गया है। इस तरह GST आजादी के बाद देश का सबसे बड़ा Indirect Tax की व्यवस्था का एक सबसे बड़ा सुधार है। एक देश के लिए एक टैक्स होना एक अच्छी बात है। मगर जीएसटी वो टैक्स है यह आधा सच है।

भारत में दो तरह के टैक्स होते हैं:

  • डायरेक्ट टैक्स

वह सारे टैक्स जो सरकार आपके काम पर या आपके अपने सामान पर लेती है, उसे डायरेक्ट टैक्स कहते है। जिसमें इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, कॉर्पोरेशन टैक्स, यह सारे आते हैं।

इन सभी टैक्सों को पहले की ही तरह सामान रखा गया है। आपको यह सारे टैक्स देने हैं। जीएसटी का इन सब टैक्स से कुछ लेना देना नहीं है।

  • इनडायरेक्ट टैक्स

इनडायरेक्ट टैक्स वो सारे टैक्स होते हैं, जिसे आप अपने व्यापार के लिए या किसी सामान के खरीद–बेच कर लेते हैं। इस श्रेणी में एक्साइज ड्यूटी और वैट जैसे टैक्स आते थे, जीएसटी ने इन्हीं सारी टैक्सों की जगह ली है। अब आपको 17 तरह के इनडायरेक्ट टैक्स देने की जरूरत नहीं है। आपको केवल एक जीएसटी देना होगा।

तो आप यह कह सकते हैं कि भारत में जो 2 तरह के टैक्स लगते थे, उसमें 17 तरह के इनडायरेक्ट टैक्स को हटाकर जीएसटी को स्थान दिया गया है। अब आपको किसी भी तरह का इनडायरेक्ट टैक्स देने की आवश्यकता नहीं है, आपको केवल जीएसटी देना है।

जीएसटी के भी कुछ प्रकार होते हैं और कौन सी जीएसटी या कितनी जीएसटी टैक्स आपको देना होगा इस बारे में इस लेख में बताया गया है।

जीएसटी के प्रकार

जीएसटी भारत सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण टैक्स है, जो देश की कमाई में अहम भूमिका निभाता है। क्योंकि जीएसटी टैक्स को भारत के 17 अलग-अलग टैक्सों को बंद करने के बाद लागू किया गया है।

जीएसटी के कुल चार प्रकार होते है:

C GST: यह टैक्स केंद्र सरकार के द्वारा लिया जाता है। अगर आप भारत में कहीं भी किसी भी तरह का व्यापार करेंगे या किसी सामान की खरीद बिक्री करेंगे तो आपको सीजीएसटी देना पड़ेगा।

S GST: इस टैक्स को भारत में राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है। आप जिस राज्य के निवासी है और अगर आप उस राज्य में किसी तरह का व्यापार कर रहे है या किसी सामान की खरीद बिक्री करेंगे तो आपको एसजीएसटी अपने राज्य सरकार को देनी होगी।

UT GST: जैसा कि हम जानते हैं भारत में कुछ राज्य केंद्र शासित प्रदेश भी है, उन सभी प्रदेशों में ली जाने वाली एक्स को यूटीजीएसटी कहते हैं।

I GST: इस टैक्स को केंद्र सरकार द्वारा लिया जाता है जब आप किसी सामान को एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजते है तब I GST लिया जाता है।

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कौन सी जीएसटी कब ली जाती है?

सरकार के द्वारा जब जीएसटी को लागू किया गया था तो बहुत सारे लोगों के परेशानी का कारण यह था कि वे यह सोचते थे कि सरकार उनसे चारों तरह की जीएसटी एक साथ लेगी।

इससे पहले कि आप जीएसटी के बारे में और परेशान हों इस बात को समझ लें कि आपको केवल दो प्रकार के जीएसटी को देना है चाहे आप कोई भी व्यापार कर रहे हो या किसी भी सामान की खरीद बिक्री कर रहे हैं।

अगर आप भारत में व्यापार कर रहे हैं या किसी सामान को भारत में खरीद रहे हैं तो आपको C–GST किसी भी हाल में देना होगा। जब आप किसी सामान की खरीद बिक्री या व्यापार करेंगे तो आपको S–GST अपने राज्य सरकार को देनी होगी।

ठीक उसी तरह अगर आप अपना व्यापार किसी केंद्र शासित प्रदेश में कर रहे हैं तो आपको C GST के साथ UT GST देनी होगी या फिर जब आप अपना व्यापार भारत के एक राज्य से दूसरे राज्य में करेंगे तब आपको केवल I GST देनी होगी।

जीएसटी कंपोजिशन स्कीम

कंपोजीशन स्किन छोटे कारोबारियों के लिए लाया गया है। कंपोजिशन स्कीम का यह फायदा है कि व्यापारियों को साल भर के कुल टर्न ओवर का सिर्फ 2 फ़ीसदी टैक्सी चुकाना पड़ता है और इसके अतिरिक्त उन्हें जीएसटी की बहुत कम नियमों का ही पालन करना होता है, ज्यादा डिटेल को नहीं रखेंगे तब भी चलेगा।

इस स्कीम के तहत जो व्यापारी होंगे, उन्हें हर महीने बिक्री, खरीद और टैक्स के रिटर्न भरने की जरूरत नहीं होगी। उन्हें बस हर तिमाही में एक Quarterly Return भरने की जरूरत होगी। साल के अंत में एक कंबाइंड रिटर्न भरना होगा, इस तरह उसे साल भर में कुल 5 रिटर्न भरना होगा। जबकि जो इस स्कीम के लिए जो एलिजिबल नहीं है, ऐसे कारोबारियों को साल भर में 37 रिटर्न भरने होते हैं।

इस स्कीम का फायदा उठा रहे कारोबारियों का फाइनल ईयर की तिमाही पूरी हो जाने के बाद उन्हें अगले महीने के 18 तारीख तक GSTR-4 के रूप में Quarterly Return दाखिल करना होता है। वहीं पांचवां रिटर्न पूरा होने के बाद 31 दिसंबर तक GSTR-8 के रूपमें दाखिल करना अनिवार्य होता है।

बता दें कि हर कोई इस स्कीम को नहीं अपना सकता। इस स्कीम के लिए वही योग्य माना जाएगा जिसका साल का टर्नओवर ₹7500000 से अधिक ना हो यानी कि वह सिर्फ माल का लेनदेन करें जैसे कि रेस्टोरेंट, होलसेलर, रिटेलर, एमएसएमई, मैन्युफैक्चरर आदि लोग इस स्कीम का फायदा उठा सकते हैं, जिनका लेनदेन राज्य की सीमा के बाहर नहीं जाता है।

जीएसटी के फायदे

भारतीय अर्थव्यवस्था पर जीएसटी का प्रभाव

जीएसटी को भारत के अर्थव्यवस्था के विकास के लिए ही लाया गया था। इसे शुरू किए जाने के बाद भारत के अर्थव्यवस्था पर काफी प्रभाव पड़े हैं, जो सकारात्मक हैं। भारत के अर्थव्यवस्था पर जीएसटी के प्रभाव के प्रमुख फायदे निम्नलिखित है:

  • जीएसटी के शुरू किए जाने पर भारत में निर्माण किए जाने वाले विभिन्न सेवा और प्रोडक्ट के निर्यात और विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा मिला है, जिससे भारत वास्तविक आर्थिक विकास की ओर अग्रसर हो रहा है।
  • इससे लोगों के लिए ज्यादा से ज्यादा रोजगार पैदा किया जा रहा है, जिससे गरीबी के उन्मूलन में सहायता मिल रहा है।
  • जीएसटी के माध्यम से भारत के लिए एकीकृत आम राष्ट्रीय बाजार बनाए गए, जिससे मेक इन इंडिया और विदेशी निवेश जैसे अभियान को बढ़ावा मिला है।
  • भारत की अर्थव्यवस्था पर जीएसटी का तो सकारात्मक प्रभाव रहा है, इसके साथ ही उपभोक्ताओं के लिए भी जीएसटी फायदेमंद है।
  • जीएसटी के लागू होने के बाद अब लोगों को विभिन्न प्रकार का टैक्स ना देकर एक ही टैक्स देना पड़ता है, इस प्रकार अब टेक्स्ट की प्रणाली बहुत सरल हो गई है।
  • जीएसटी के कारण पूरे देश में निर्माण होने वाले सामान्य प्रकार के प्रोडक्ट की कीमत का मूल्य सामान है।

कैस्केडिंग के उन्मूलन के कारण अब माल और सेवाओं की कीमतों में कमी आई है। क्योंकि जीएसटी से पहले लोगों को विभिन्न प्रकार के शुल्क के कारण रोजमर्रा की जरूरत की चीजें जैसे कि टूथ पेस्ट, अगरबत्ती साबुन, शैंपू इत्यादि चीजों पर टैक्स की वैल्यू 31 फ़ीसदी तक पहुंच जाती थी।

लेकिन अब जीएसटी के लागू होने के बाद इनकी टेक्स्ट के अधिकतम दर 28 फ़ीसदी तक रखी गई है। जीएसटी को चार स्लैब में बांटा गया है 5 फ़ीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फ़ीसदी जो अलग-अलग प्रोडक्ट पर अलग-अलग है।

रोजमर्रा की चीजों पर 18 व पांच फीसदी जीएसटी लगाई जाती है जबकि पहले यह 27 और 10 फीसदी था। तो इससे आप समझ सकते हैं कि अब चीजों की कीमतों में कितनी कमी आई है। जीएसटी के कारण लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी खुल रहे हैं।

आपको कितनी जीएसटी देनी होगी?

हम सब यह जानते हैं कि जीएसटी में आपको अपने व्यापार का 18% सरकार को देना होता है। मगर बहुत सारे लोग इस बात से परेशान हो जाते हैं कि क्या उन्हें दो बार 18% देना होगा?

हम आपको बता दें ऐसा बिल्कुल नहीं है। जब हम जीएसटी टैक्स की बात कर रहे हैं तब कूल टैक्स 18% देना होगा, जिसमें 9% केंद्र सरकार का होगा। बाकी आपके व्यापार करने के स्थान पर निर्भर करता है।

अर्थात जीएसटी चार प्रकार का टैक्स है, उसमें से आपको किसी दो प्रकार के जीएसटी टैक्स को देना है और उस जीएसटी टैक्स का मान आपके व्यापार का 18% होगा।

उम्मीद करते हैं आप समझ गए होंगे कि जीएसटी क्या है और आपको केवल 18% ही जीएसटी देनी है। अब हम यह समझेंगे कि कौन लोग जीएसटी दे सकते हैं।

किसे और कब जीएसटी देनी पड़ती है?

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हर किसी व्यापारी को जीएसटी देने की आवश्यकता नहीं है। जीएसटी केवल तीन प्रकार के व्यापारी या लोग दे सकते हैं।

अगर लेन-देन सालाना 20 लाख से ज्यादा हो

अगर आप किसी भी तरह का व्यापारिक या व्यापारिक लेन-देन करते हैं और आप का सालाना लेन–देन 20 लाख या उससे ज्यादा का है तो आपको जीएसटी देनी पड़ेगी। अगर आप अपने व्यापार में 19 लाख का सामान खरीदते हैं और उसे 20 लाख में बेचते हैं या फिर 5 लाख का सामान खरीद के 15 लाख में बेचते हैं तो दोनों ही स्थिति में आपके व्यापार में 20 लाख का लेनदेन हो रहा है, जिस वजह से आप जीएसटी देने के लिए बाध्य हो।

कुछ ऐसी जगह जो पहाड़ी इलाकों में आते हैं, उस जगह पर इस सीमा को 10 लाख ही रखा गया है।

व्यापार एक राज्य से दूसरे राज्य में कर रहे हो

अगर आप अपने समान या सुविधा का व्यापार भारत के एक राज्य से दूसरे राज्य में करते हैं तो आपको जीएसटी देनी होगी।

उदाहरण के तौर पर मान लेते है अगर आप एक मेज को गुजरात में बनाते है और उसे उत्तर प्रदेश में लाकर बेचते है तो आपको I GST देनी होगी, जो 18% की होगी।

अगर online सामान की खरीद बिक्री करते है

जब आप किसी भी सामान्य सुविधा की खरीद बिक्री ऑनलाइन करते हैं तो आपको जीएसटी देनी होगी। उदाहरण के तौर पर आप फ्लिपकार्ट से मोबाइल मंगाएं या जोमैटो से खाना दोनों ही स्थिति में आप को जीएसटी देनी होगी।

जब आप जीएसटी क्या है और कौन इसे भर सकता है। इस बारे में सब कुछ अच्छे से समझ गए हैं तब हम बात करते हैं आपके नए व्यापार के शुरू करने की प्रक्रिया के बारे में।

अपने ब्रांड नाम के तहत सेवाएं देने वाले एग्रीगेटर

Aggregator की श्रेणी में कमीशन आधारित बिजनेस होता है। यानी कि इस तरह की कंपनी जिनका केवल ब्रांड के नाम पर कारोबार होता है, उसमें ना ही उनका खुद का स्टाफ होता है ना ही खुद का सामान बस किसी अन्य कंपनी के सामान को अपने ब्रांड के माध्यम से अन्य लोगों तक सेवा देने का कार्य करते हैं।

उदाहरण के रूप में ओला, उबेर जैसी कंपनियां जिसमें यह ब्रांड का नाम किसी और का है। लेकिन इस कंपनी के तहत अन्य लोगों को परिवहन की सुविधा दी जाती है, उसमें वाहन किसी अन्य का होता है और ना ही इसके स्टाफ खुद के होते हैं।

इस तरह इस तरह की कंपनी जो दोनों पक्षों को एक दूसरे की सुविधाओं लेने के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है, जिसके बदले में वे कमीशन लेती हैं। इस तरह की जितनी भी कंपनियां भारत में है और उन हर एक कंपनियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है।

अनिवासी कर योग्य व्यक्ति

निवासी कर योग्य व्यक्ति Non-Resident Taxable Person वह होता है, जो नाही भारत का निवासी होता है और ना ही भारत में उसका स्थाई व्यवसायिक स्थान यानी कि ऑफिस होता है।

किसी अन्य देश में निवास करता है लेकिन भारत आकर कभी-कभी वो यहां पर लेनदेन का कार्य करता है। तो ऐसे व्यवसाय करने वाले लोगों को भी जीएसटी भरना अनिवार्य है, इसीलिए उन्हें भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।

व्यापार के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया (gst apply kaise karen)

अगर आप भारत में व्यापार करते है या करना चाहते है तो आपको जीएसटी देनी होगी, इस बारे में हमने विस्तार से इस लेख में जाना है। अब हम बात कर रहे हैं, उस पल की जब आप व्यापार के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते हैं।

अगर आज आपको कोई व्यापार भारत में शुरू करना है तो आपको अपने व्यापार का जीएसटी पंजीकरण करवाना होगा। किसी व्यापार का जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए आपको जीएसटी आर.आई.जी–01 (GST RIG 01)।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन के फॉर्म को भरने के लिए या फिर जीएसटी नंबर को लेने के लिए आपके पास पैन कार्ड होना सबसे आवश्यक है। क्योंकि जीएसटी नंबर एक पैन बेस्ड नंबर होता है और इसकी क्या प्रक्रिया होती है या आप यह नंबर कैसे मिल सकते है, इस बारे में विस्तार से बताया गया है।

इस प्रक्रिया को ऑनलाइन करने के लिए नीचे दिए हुई निर्देशो को पढ़ें:

  • सबसे पहले जीएसटी की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं, वहां टैक्स पेयर्स के सेक्शन में रजिस्टर नाउ पर क्लिक करें।
  • उस पेज में आपको मोबाइल नंबर और ईमेल देने का एक स्थान मिलेगा, वहां अपने मोबाइल नंबर और ईमेल को डालें। उसके बाद आप के मोबाइल और ईमेल पर अलग-अलग ओटीपी जाएगा, जिसे otp लिखे जगह पर डालने है।
  • जब आप ओटीपी डालेंगे तब एक टीआरएन नंबर जेनरेट होगा, जो आपके मोबाइल और ईमेल पर भेजा जाएगा। उस नंबर को कॉपी करके इस पेज पर पोस्ट करें तब आपके सामने जीएसटी रजिस्ट्रेशन का फॉर्म खुल जाएगा।
  • उस फोन में जितनी भी जानकारी पूछी गई है, सभी के सावधानीपूर्वक सही से जवाब दें और जिन दस्तावेजों को मांगा गया है, उनका फोटो कॉपी अटैच कर दें।

बिजनेस रजिस्ट्रेशन के लिए किस प्रकार की जानकारी देनी होती है?

जब आप बिजनेस रजिस्ट्रेशन या जीएसटी रजिस्ट्रेशन का फॉर्म आपकी स्क्रीन पर ओपन होगा तब आप यह देखोगे कि इसे कुछ सेक्शन में विभाजित किया गया है, किस सेक्शन में आपको किस प्रकार की जानकारी देनी है या नहीं से बताया गया है।

Business details: जीएसटी के रजिस्ट्रेशन का जो पहला सेक्शन है, उसमें आपके व्यापार के डिटेल्स को मांगा जाएगा। जिसमें आपका ट्रेड नाम, आपके व्यापार के शुरू होने की तिथि, व्यापार के मालिक का नाम और ऐसे कुछ जानकारी ली जाएगी।

प्रमोटर या पार्टनर डिटेल: इस सेक्शन में आपके व्यापार के प्रमोटर कौन है और आपके व्यापार में पार्टनर कौन है। अर्थात आपके व्यापार के मालिक का नाम उनका रेसिडेंट एड्रेस और उनका आईडेंटिटी मांगा जाएगा।

अथॉरिटी सिंगनेचर: कंपनी के मालिक को यहां सिग्नेचर करना होता है। लेकिन अथॉरिटी के मौजूद न होने पर आप उनका पर्सनल इंफॉर्मेशन, आईडेंटिटी इंफॉर्मेशन, रेसिडेंट इंफॉर्मेशन और उससे जुड़ी सभी प्रकार के दस्तावेज को अथॉरिटी लेटर के साथ अटैच कर के आगे बड़ सकते हैं।

Authority Representative: अगर आपके व्यापार का कोई रिप्रेजेंटेटिव है तो उससे जुड़े दस्तावेजों को यह प्रपोज करना होगा या फिर आप इस जगह को छोड़ सकते हैं।

Place of business: आपका व्यापर कहां स्थित है अर्थात आपकी फैक्ट्री या दुकान कहाँ है और किस तरह के प्रोडक्ट या सर्विस प्रदान करती है और आप की जमीन दुकान या फैक्ट्री से जुड़ी हर तरह के दस्तावेज को यहां पर अटैच करना होगा।

Bank account: जब आप जीएसटी में अपने बिजनेस का रजिस्ट्रेशन करोगे तो यह रजिस्ट्रेशन टेक्स देने के लिए होता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि आप कितने का व्यापार या लेन-देन करते हो, जिसके आधार पर आपके जीएसटी की कीमत तय की जाएगी।

Verification: इस सेक्शन में आपको यह कहा जाएगा कि यह सारी जानकारी जो आप दे रहे हैं, वह सच है और आप इसकी पूरी जिम्मेदारी लेते है और इसी के साथ आपको अपने सभी जानकारी की वेरिफिकेशन करनी होगी, जिसके बाद आप का रजिस्ट्रेशन पूर्ण हो जाएगा।

इसके बाद आपको अथॉरिटी सिग्नेचर सेलेक्ट करके आपको प्लेस फील करना होगा, जिसके बाद ईवीसी लेकर आप जीएसटी रजिस्ट्रेशन को पूर्ण कर लेंगे।

नोट: आप फॉर्म भर के अपना काम पूर्ण कर चुके हैं। मगर जब तक आपको एक नंबर ईशु नहीं किया जाता तब तक आपका जीएसटी रजिस्ट्रेशन अधूरा है। इसलिए आपको इस वेब पेज पर आ करके फॉर्म का स्टेटस चेक करते रहना होगा।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन न करवाने पर जुर्माना

कोई व्यक्ति सोच रहा है कि बिना जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए किसी व्यवसाय को शुरू करें या फिर वह जीएसटी को ना भरे तो उस पर कुछ भी कार्यवाही नहीं होगी तो बता दे कि वह गलत सोच रहे हैं, जिससे को बहुत ही कड़े रूप से लागू किया गया है अब जीएसटी के लिए जो भी एलिजिबल रहता है, उसे जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना ही पड़ेगा और वैसा नहीं करवाता है, उस पर पेनाल्टी भी लग सकता है।

जीएसटी को नहीं भरता है या जितनी राशि जीएसटी उसकी आ रही है, उससे कम राशि ही वह जमा करता है तो उस पर बनने वाले टैक्स के अतिरिक्त 10% और टैक्स की पेनाल्टी लगाई जाएगी और यह पेनाल्टी ₹10000 से कम नहीं हो सकती यानी कि पेनाल्टी ₹10000 से भी अधिक बढ़ सकती है।

यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर टैक्स को जमा नहीं कर रहा है तो उस पर जो पेनाल्टी होगी, वह उसके ऊपर बनने वाली टैक्स का 100% होगा। यानी कि जितना उसको टैक्स जमा करना है, उसका दोगुना टैक्स अब उसको पेनल्टी के बाद जमा करना होगा।

FAQ

जीएसटी क्या है?

GST भारतीय सरकार के द्वारा लिए जाने वाला एक कार है, जिसे हर भतार करने वाला व्यक्ति या किसी सामान की खरीद बिक्री करने वाले व्यक्ति को देना पड़ता है।

जीएसटी का फुल फॉर्म क्या है?

जीएसटी का फुल फॉर्म Goods and Services Tax या वस्तु एवं सुविधा कर है।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए आपको क्या चाहिए?

अपने व्यापार का जीएसटी रजिस्ट्रेशन करने के लिए आपके पास आपका पैन कार्ड और अपने व्यापार से जुड़ी सभी दस्तावेजों होने चाहिए।

जीएसटी नंबर क्या होता है?

अपने व्यापार का GST रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद आपको 15 अंक का एक नंबर मिलता है, जो आपके पैन कार्ड से संबंधित होता है, जिससे आप कर देने के लिए इस्तेमाल करते है, उसे जीएसटी नंबर कहते हैं।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर कितने दिन में आता है?

अगर आप अपने व्यापार के रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन किए हैं तो 3 से 7 दिन के अंदर आपको आपका जीएसटी नंबर मिल जाएगा।

निष्कर्ष

अगर आप इस लेख को अंत तक पढ़े हैं तो हम उम्मीद करते है कि आपको जीएसटी क्या है (GST Kya Hai) और बिजनेस रजिस्ट्रेशन कैसे करते है इस बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। आपको यह बात हमेशा याद रखना है कि जीएसटी हर किसी को नहीं देना और आपको किसी भी परिस्थिति में 18% से ज्यादा जीएसटी नहीं देना है।

उम्मीद करते हैं इस लेख को अंत तक पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे जीएसटी क्या है एवं बिजनेस रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या है। (gst registration kaise kare) अगर इस लेख से आपकी सहायता हुई है तो इस लेख को अपने मित्रों के साथ साझा करें और अपने विचार कमेंट करके हमें जरूर बताएं।

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