Aloe Vera Farming Business Plan in Hindi: एलोवेरा का पौधा एक कांटेदार पौधे के रूप में होता है। आज औषधि के रूप में तथा सौंदर्य प्रसाधन के लिए भी एलोवेरा को काम में लिया जाता है।
इसके अलावा इस को खाद्य पदार्थ के रूप में भी काम में लिया जाता है। आज एलोवेरा का आयुर्वेदिक की लिस्ट में सबसे ऊपर नाम आता है। आज मार्केट में एलोवेरा के बहुत प्रकार के प्रोडक्ट्स मिलते हैं।
इनकी इतनी अधिक मार्केट डिमांड हो गई है कि लोग आज एलोवेरा की खेती करके अच्छा पैसा भी कमाने लग गए हैं। एलोवेरा की खेती बहुत फायदेमंद होती है। इसके अलावा इस खेती को करने के लिए एक बार पैसा लगाना पड़ता है। उसके बाद 5 साल तक इस खेती के लिए कोई पैसा नहीं लगाना होता है।

सभी किसानों का यह मानना है कि एलोवेरा की खेती से कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमा लिया जाता है। एलोवेरा की खेती कर उससे किस प्रकार से पैसे कमाए जाते हैं (Aloe Vera Farming in Hindi), खेती किस प्रकार की जाती है (Aloe Vera ki Kheti Kaise Kare), इन सभी बातों के बारे में जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से दे रहे हैं।
एलोवेरा की खेती करके पैसे कैसे कमाएं? | Aloe Vera Farming Business Plan in Hindi
एलोवेरा की खेती
एलोवेरा की खेती आज हमारे देश के हर किसान कर रहे है, क्योंकि इस खेती के द्वारा अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। सबसे अधिक इस खेती को राजस्थान और गुजरात के किसानों के द्वारा की जाती है। हमारे देश के अलग-अलग प्रांतों के बहुत से किसान इस खेती को करना चाहते हैं।
लेकिन इस खेती के बारे में उनके पास सही प्रकार की जानकारी नहीं होने के कारण वह एलोवेरा की खेती नहीं कर पा रहे है। एलोवेरा की खेती करने के लिए अनुकूल जलवायु, खाद्य पदार्थ, सिंचाई, पौधों की कटाई, खेत की जुताई आदि बहुत से काम करने होते हैं।
एलोवेरा क्या है?
एलोवेरा को घृतकुमारी, ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है। यह एक कांटेदार पौधा होता है। इस पौधे की लंबाई 2 से 3 फिट की होती है। यह पौधा लिलिएसी कुल का बहुवर्षिय पौधा भी माना जाता है। यह पौधा जमीन के अंदर कम गहराई तक ही होता है और इसका तना बहुत ही छोटा होता है। एलोवेरा के जो पत्ते होते हैं, वह बहुत ही मोटे लंबे होते हैं।
इन पत्तो में बारीक बारीक कांटे भी लगे हुए होते हैं। इन सभी मांसलदार पत्तों की चौड़ाई आधा इंच तथा लंबाई 3 इंच तक होती है। यह पत्ते बहुत कड़वे होते हैं। इनके अंदर पल्प भरा होता है। आज हमारे देश में एलोवेरा की खेती को करने का उद्देश्य सिर्फ कमाई के लिए ही माना जाता है। यह हमारे देश के शुष्क प्रदेशों में पैदा किया जाता है।
एलोवेरा की खेती कहाँ की जा सकती है?
एलोवेरा की खेती करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान कम पानी वाला होता है, इसीलिए इस एलोवेरा की खेती को ऐसी जगह पर ही किया जाता है। जहां पर गर्म जलवायु हो तथा पानी की अधिकता ना होने की वजह से इस पौधे की वृद्धि में बहुत फर्क पड़ जाता है।
यह पौधा पानी वाली जगहों पर सही रूप से पनप नहीं पाता है। एलोवेरा की खेती करने के लिए रेगिस्तानी इलाके या फिर बालू क्षेत्र वाली जगह होनी चाहिए। इन जगहों पर खाद का प्रयोग करके बहुत अधिक संख्या में एलेवेरा की पैदावार की जा सकती है।
एलोवेरा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
एलोवेरा की जब खेती करते हैं तो इसमें ज्यादा मेहनत की और लागत की जरूरत नहीं पड़ती है। इस खेती को करने के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा तथा मध्य प्रदेश के शुष्क इलाके हैं। यहां पर इस खेती को करना सही होता है।
अगर आप एलोवेरा की खेती से व्यापार करने के लिए सोच रहे हो तो इन जगहों पर खेती करना आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। एलोवेरा की खेती के लिए बहुत गर्म जलवायु चाहिए, क्योंकि गर्म जलवायु में पनपने वाला यह एकमात्र पौधा है।
इन स्थानों पर खेती करने से इसकी गुणवत्ता या उत्पादन में कोई कमी नहीं आएगी। गर्म प्रदेश तथा गर्म ही जलवायु एलोवेरा के पौधे के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त होते हैं।
आज हमारे देश के हर किसान इस खेती को करने के लिए तैयार रहते हैं। जिस भूमि में भी आप एलोवेरा की खेती करना चाह रहे है, वह भूमि थोड़ी ऊंचाई पर हो तो ज्यादा सही रहती है।
क्योंकि बरसात के दिनों में अक्सर खेतों में पानी भर जाता है, जोकि एलोवेरा की खेती के लिए सही नहीं होता है। ऊँचाई और ढलान वाले स्थानों पर इस खेती को करने से फायदा मिलता है।
एलोवेरा की खेती के लिए लागत
एलोवेरा की खेती करने के लिए आप शुरुआत 30 हजार से 50 हजार तक शुरू कर सकते हैं। क्योंकि इस फसल के लिए ज्यादा किसी खर्चे की आवश्यकता नहीं होती है। एलोवेरा के लिए सिर्फ ऊंचाई वाले स्थान ओर गर्म जलवायु वाले प्रदेशों में जहां पर पानी की कमी हो, उस स्थान पर इस खेती को किया जाता है।
इस खेती के लिए सबसे अधिक खर्चा अच्छे किस्म के हाइब्रिड एलोवेरा के बीज के ऊपर होता है। क्योंकि आज एलोवेरा की मार्केट में बहुत अधिक डिमांड बढ़ती जा रही है, इसीलिए इसके हाइब्रिड बीज बहुत महंगे महंगे दामों पर बेचे जा रहे हैं। एलेवेरा के पौधों को लगाने का खर्चा लगभग ₹30 हजार में होता है। इसके अलावा खाद मजदूरी आदि के लिए अधिक पैसे लग जाते हैं।
एलोवेरा कितने प्रकार के होते हैं?
एक रिपोर्ट के अनुसार एलोवेरा लगभग 300 प्रकार के होते हैं। 284 किस्म के एलोवेरा औषधीय रूप में काम में लिए जाते हैं तथा 11 प्रकार के एलोवेरा ऐसे होते हैं, जिनका प्रयोग नहीं किया जाता, वह बहुत अधिक जहरीले होते हैं। एलोवेरा की प्रमुख प्रजातियों में से कुछ इस प्रकार से है:
- ऐलो चिनेसिस
- एलॉय लितोरालिसत
- एलॉय
भारत में एलोवेरा की उपजाऊ प्रजाति निम्न है:
- आईईसी 111271
- आईईसी 11269
- ए एएल – 1
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एलोवेरा की खेती के लिए मिट्टी
एलोवेरा की खेती करने के लिए सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि यह पौधा कि किसी भी मिट्टी में आसानी से फल फूल जाता है। सभी प्रकार की मिट्टी एलोवेरा की खेती के लिए उपजाऊ होती है।
सबसे अधिक एलोवेरा की खेती दोमट मिट्टी और बलुई मिट्टी में की जा सकती है। वहां पर इनकी उपज अधिक होती है। इन मिट्टियों में एलेवेरा और अधिक फल फूल सकते हैं।
दोमट मिट्टी में तो हर फसल की पैदावार बहुत अच्छी होती है। दोमट मिट्टी चिकनी बालू मिट्टी के मिश्रण से बनी हुई होती है। इस मिट्टी में 40% बालू मिट्टी होती है, जिसके कारण इसमें हवा आसानी से प्रवेश नहीं कर सकती है।
एलोवेरा की खेती के लिए बलुई रेत के अलावा ऊंचाई वाले स्थान उपयुक्त होते हैं। बरसात का पानी या किसी भी प्रकार का पानी एलोवेरा के लिए उपयुक्त नहीं होता है। इसकी फसल को बहुत नुकसान भी पहुँच सकता है।
एलोवेरा की खेती के लिए सही प्रजाति का पौधा
एलोवेरा की खेती करने के लिए सबसे पहले आपको सही प्रजाति के पौधे का चुनाव करना होगा। क्योंकि एलोवेरा में अलग-अलग प्रकार के पौधो की प्रजाति आती हैं। व्यापार की दृष्टि से आपको सही प्रजाति का चयन करना होगा, जिसमें अधिक मांसलदार पत्ते व उनका पल्प तथा पौधे की गुणवत्ता सही हो और खेती भी सही रूप में की जा सके।
एलोवेरा के लिए हाइब्रिड बीज खरीदने के लिए आप बाजार में अलग-अलग प्रकार के एलोवेरा की खेती करने के लिए भी जाते हैं। आप अच्छी क्वालिटी के अधिक उत्पादन होने वाले बीज खरीद कर इस खेती को कर सकते हैं।
एलोवेरा के अच्छे हाइब्रिड बीज
आज मार्केट में एलोवेरा की बहुत अधिक डिमांड हो रही है। आप एलोवेरा के अच्छे किस्म के हाइब्रिड बीज से एलोवेरा की खेती करके अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते है। जिस प्रकार के एलोवेरा की मार्केट में अधिक डिमांड हो रही है, उसी प्रकार की आप खेती करके मुनाफा कमा सकते हैं।
एलोवेरा का व्यवसाय पूरी तरह एलोवेरा की खेती पर ही निर्भर करता है। अगर खेती सही नहीं होगी तो नुकसान भी उठा सकते हैं।
एलोवेरा की खेती के लिए अनुभव
अगर व्यापार की दृष्टि से एलोवेरा की खेती को करना चाहते है तो इसके लिए मार्केट में या किसी दुकान से इसका अनुभव प्राप्त नहीं किया जा सकता।
केंद्रीय औषधीय एवं संबंध पौधा संस्थान (सीमैप) में आपको कुछ महीनों की एलोवेरा के लिए ट्रेनिंग लेनी होगी। इसके लिए आप ऑनलाइन अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
इसकी कुछ फीस भी निर्धारित होती है, इसके बाद ही आप एलोवेरा की खेती के लिए ट्रेनिंग ले सकते हैं और एलेवेरा की खेती का व्यापार ट्रेनिंग लेने के बाद में शुरू कर सकते हैं।
एलेवेरा के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों की बढ़ती मांग
एलोवेरा की आज बाजार में बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियों की हर्बल और कॉस्मेटिक के प्रयोग के लिए बहुत अधिक डिमांड बढ़ रही है। इन सभी प्रोडक्ट में एलोवेरा का ही प्रयोग किया जाता है। आज सौंदर्य प्रसाधन के सामान या हर्बल प्रोडक्ट या फिर औषधि के रूप में सभी में एलोवेरा का उपयोग किया जाता है।
आयुर्वेदिक की बड़ी-बड़ी कंपनियां तो एलोवेरा के द्वारा दवाई का भी उत्पादन कर रही है। हर्बल, कॉस्मेटिक, उत्पादन, तथा दवाई बनाने वाली कंपनियां तो एलोवेरा की खेती को पूरे साल के कांटेक्ट पर खरीद लेती है।
उसके लिए अच्छा खासा मुनाफा भी खेती करने वाले लोगों को दिया जाता है। साल भर की लगभग 8 से 10 लाख रूपये की कमाई एलोवेरा की खेती से किसानों को मिल जाती है।
एलोवेरा की खेती कैसे करें?
पौधारोपण
एलोवेरा की खेती (Aloe Vera ki Kheti) करने के लिए सबसे पहले खेत की जुताई करने के बाद उस खेत में क्यारियों को बनाया जाता है। उन सभी क्यारियों में एक-एक बीज को एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच लगभग 50 सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए सभी बीजों को लगाया जाता है।
इस खेती को करने के लिए सबसे सही समय फरवरी मार्च तथा जून जुलाई का महीना होता है। वैसे इस खेती को साल भर भी किया जा सकता है।
खाद व उर्वरक देना
एक हेक्टर भूमि में लगभग 10 हजार पौधे एलोवेरा के उगाए जा सकते हैं। भूमि में बीज लगाने के बाद में उनकी हल्की सिंचाई करनी होती है तथा उनमें खाद डाला जाता है। उसके बाद एलोवेरा के पौधे निकल आते हैं। एलोवेरा के पौधों के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है।
एलोवेरा का पौधा आठ से 10 महीनों में कटाई करने के लिए तैयार हो जाता है। एक बार एलोवेरा के बीज लगाने के बाद 4 साल तक वापस बीज लगाने की जरूरत नहीं होती है, इसीलिए इस खेती को करने के लिए ज्यादा खर्चा नहीं आता है।
एलोवेरा की खेती को काटने का समय
एलोवेरा की खेती (Alovera ki Kheti) लगभग 8 से 10 महीने में तैयार होती है, उसके बाद ही इसकी कटाई की जाती है। सबसे ज्यादा ध्यान इस स्थिति के लिए कटाई के समय ही रखना होता है क्योंकि लोग अक्सर भूल जाते हैं कि एलोवेरा को किस प्रकार से निकाला जाता है।
इसके लिए आपको एलोवेरा की जड़ों के साथ इसको उखाड़ ना सही नहीं होता है बल्कि इसके पत्तों को काटकर ही बाजार में आसानी से बेच सकते हैं। अगर जड़ सहित इस पौधे को उखाड़ लेंगे तो वापस से एलोवेरा नहीं उग पाएगा।
अधिक मात्रा में ऊपज
जहां से एलोवेरा के पत्ते काटे है, वापस से उस स्थान पर एलोवेरा उगना शुरू हो जाता है। एलोवेरा के सबसे ऊपर के पत्तों को भी नहीं काटना चाहिए, क्योंकि वह बहुत कच्चे व कम पल्प वाले होते है।
इसके पत्तों को काटने का काम नीचे से शुरू करना चाहिए। जिस स्थान से अपने पत्ते काटे हैं, वहां पर 45 दिन के बाद में वापस नए पत्ते आना शुरू हो जाता है।
यह प्रक्रिया इसी प्रकार से चलती रहती है। जब इसके नए पत्ते आने लग जाए तो आप इनको बार-बार काट के बाजार में बेच सकते है। इस प्रक्रिया को आप 4 से 5 साल तक कर सकते हैं।
एलोवेरा के पौधों को लगने वाले रोगों से बचाव
जब एलोवेरा की खेती (Aloe Vera Kheti) करते हैं तो खेत में अक्सर खरपतवार के रूप में छोटे-छोटे बहुत पौधे उग जाते हैं, जोकि एलोवेरा की खेती में रूकावट बन सकते हैं। इसीलिए आप विशेष रुप से ध्यान दे कि उन सभी अन्य पौधों को जितना जल्दी हो सके वहां से निकाल दे।
इसके अलावा जिन क्यारियों में आप एलोवेरा के बीज लगाते हो, उनको थोड़ा ऊंचा रखें ताकि उन क्यारियों में पानी का ठहराव ना हो समय-समय पर क्यारियों को ऊंचा करते रहे ताकि इन पौधों में पानी की कोई नामी ना हो। एलोवेरा की पत्तियों में अक्सर देखा जाता है कि पीली धारियां लगी होती हैं।
यह भी एक प्रकार का रोग होता है, जो कि फफूंद के कारण होता है। इन रोगों से बचाने के लिए मैकोजेब रेडिमिल, डायटम एम – 45 का प्रयोग कर इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है। बारिश का पानी रुकने की वजह से भी एलोवेरा की खेती बर्बाद हो जाती है।
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एलोवेरा की खेती के लिए सबसे जायद मुनाफा वाली जगह
एलोवेरा की खेती का व्यापार शुरू करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह रेगिस्तान के आसपास की जगह होती है। क्योंकि वहां पर गर्म जलवायु और बालू मिट्टी होने की वजह से एलोवेरा के पौधे को उगने में कोई परेशानी नहीं होती है।
रेतीली मिट्टी में एलोवेरा का पौधा बहुत तेजी से पनपता है और अच्छा पल्प भी इसमें निकल जाता है। एलोवेरा की खेती करने के लिए सबसे उपयुक्त जगह राजस्थान और उसके आसपास के इलाके है। वहां पर खेती करके आप बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
एलोवेरा को बेचना ज्यादा कहां पर सही है?
जब एलोवेरा की खेती पूरी तरह से तैयार हो जाती है, उसके बाद सबसे अंतिम विकल्प होता है कि इसके पत्तों को कहां बेचा जाए। आज एलोवेरा की औषधि के रूप में हर्बल वह सौंदर्य प्रसाधन के रूप में बहुत अधिक मांग हो रही है। इसीलिए बड़ी-बड़ी कंपनियां डायरेक्ट आपसे कांटेक्ट कर सकती हैं।
इसके लिए आपको ज्यादा प्रचार की आवश्यकता नहीं होती है। आप अपनी पसंद की कंपनी चुनकर उसके साथ कांटेक्ट भी कर सकते हैं। कुछ ऐसी भी कंपनियां हैं, जिनका आज बहुत अधिक उत्पादन है। वह कंपनियां एलोवेरा को डायरेक्ट किसानों से खरीद सकती हैं। कुछ प्रसिद्ध कंपनियों के नाम इस प्रकार हैं:
- पतंजलि
- डाबर
- वैधनाथ
बहुत ही लोकल कंपनियां भी होती हैं, जो एलोवेरा को खरीद सकती है। आज एलोवेरा की मांग बाजार में दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। लोग इसके सही उपयोग को जानते हैं तथा इसको औषधि के रूप में भी सबसे अधिक प्रयोग में लिया जाता है।
नर्सरी के प्रयोग में
एलोवेरा की खेती से लोगों को घरों के लिए भी इसके पौधों को बेच सकते हैं। एलोवेरा मानव शरीर से जुड़ी बहुत सी बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। सभी लोग अक्सर इसको काटकर फेस मास्क के रूप में भी लगाते है।
एलोवेरा को आप ऑनलाइन भी बेच सकते हैं क्योंकि आज एलोवेरा की बाजार में बहुत अधिक मांग बढ़ गई है। एलोवेरा का जूस भी बनाया जाता है। उसको बेच कर भी आप कमाई कर सकते हैं।
एलोवेरा की खेती से मुनाफा
एलोवेरा की खेती में एक हेक्टेयर भूमि में लगभग 10 हजार पौधों को लगाया जा सकता है। एलोवेरा का खर्चा मजदूरी, खेती, खाद आदि सभी को जोड़कर 1 साल का खर्चा ₹50 हजार तक पहुंच जाता है। एलोवेरा की खेती से लगभग 40 से 50 टन की पत्तियां प्राप्त होती है।
एलोवेरा की पत्ती हमारे देश की सभी मंडियों में लगभग 15 से 25 हजार रूपये टन के हिसाब से बेची जाती है। इस हिसाब से आप एक साल में आराम से 8 से 10 लाख रुपए का मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।
एलोवेरा की खेती से लाभ
एलोवेरा की खेती किसी भी बेकार भूमि में बिना पानी के बिना किसी खर्च के इस खेती को शुरू करके बहुत लाभ कमाया जा सकता है। एलोवेरा की खेती के लिए ज्यादा खाद कीटनाशक सिंचाई की कोई जरूरत नहीं होती है। इस खेती को कोई जानवर भी नहीं खाता है। इसके अलावा इस खेती किसी निगरानी की भी आवश्यकता नहीं होती है।
एलोवेरा की फसल से हर वर्ष आदमी को अच्छी आमदनी के रूप में हर वर्ष अच्छा मुनाफा भी प्राप्त हो सकता है। इसके अलावा आप एलोवेरा की खेती से कुछ उद्योग भी कर सकते हैं।
एलवा बनाने का, जेल बनाने का, सूखा पाउडर बनाने का, जूस बनाने का, कोई भी हर्बल प्रोडक्ट बनाने के कई तरह के व्यापार शुरू किए जा सकते हैं। एलोवेरा की आज देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत अधिक मांग बढ़ने लग गई है।
एलोवेरा से आप पैसे कैसे कमाए इससे पहले आपको जानना यह जरूरी है कि एलोवेरा होता क्या है?
- काफी सारे लोग एलोवेरा को घर कुमारी और ग्वारपाठा के नाम से भी जानते हैं। करीब 2 से 3 फीट की ऊंचाई वाला या पौधा लिली एसी कुल का बहूवर्षीय मांसल पौधा है।
- इस पौधे का तना छोटा और जमीन जमीन के अंदर कम गहराई मे जड़ी होती है। पौधे के पत्ते एक से डेढ़ फुट तक लंबे मोटे और फलदार और हरे होते हैं, जिनमें दोनों तक बारिक कांटे भी लगे होते हैं।
- इन मास अलदार पत्तों की मोटाई करीब आधा इंच और चौड़ाई 1 इंच से होती है या पत्ते साथ में कड़वे होते हैं इनके अंदर पलप होता है जो कि पौधे को उगाने के मुख्य मकसद और पौधों से कमाई करने का स्रोत माना जाता है ।
- यह पौधा भारत में विदेश से लाया गया था, लेकिन अब पूरे भारत और मुख्य रूप से शुष्क प्रदेशों में उगता है, इसको ही हम एलोवेरा कहते हैं।
- एलोवेरा की डिमांड बाजारों में तेजी से बढ़ रही है क्योंकि इस पौधे के आसपास कई उद्योग पनप रहे हैं। बाजार में ना केवल एलोवेरा के पत्ते सामान्य रूप से बेचे जाते हैं। इन से बनाई जाने वाली औषधि ब्यूटी प्रोडक्ट की मार्केट में काफी डिमांड है।
- एलोवेरा का उपयोग एक औषधि के रूप में आंखों से जुड़ी समस्याएं, दिल्ली की वृद्धि, लिवर से जुड़ी बीमारी, उल्टी की समस्या, तेज बुखार, खांसी, त्वचा से जुड़ी हुई बीमारी, सांस, पीलिया, पथरी आदि में किया जाता है।
- एलोवेरा से ब्यूटी प्रोडक्ट क्रीम, मसाज जेल, हेयर मसाज जेल आदि क्रीम ब्यूटी जेल प्रोडक्ट बनाए जाते हैं तथा पतंजलि, डाबर जैसी बड़ी कंपनियां इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।
- कोविड-19 से एलोवेरा का उपयोग काफी बढ़ गया है। एलोवेरा का जूस भी लोग पीना चाहते हैं, जिससे आपकी इम्यूनिटी बढ़ती है।
एलोवेरा के फूल से क्या होता है?
एलोवेरा के फूल के संबंध में प्रतिरक्षा और पाचन समस्याओं के निपटने के गुण पाए जाते हैं। एलोवेरा के फूल मुख्य रूप से कई प्रकार के व्यंजन, पेय पदार्थ, सलाद या डेजर्ट में एक घटक के रूप में शामिल किया जाता है।
जिसका सीधा संबंध पाचन समस्याएं और कब्ज या आंतों के दर्द से निजात दिलाने में अहम भूमिका निभाता है। एलोवेरा के फूल कई तरह के मेडिसिन में भी यूज होते हैं।
एलोवेरा जूस का मार्केट कैसा है?
सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस पीने से मेटाबॉलिज्म 4% बढ़ जाता है। इसका मतलब क्या है कि आपकी पाचन शक्ति सही होती है, जो लोग एक्सरसाइज तथा योगा करते हैं। वह सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस पीते हैं।
आधुनिक युग में एलोवेरा जूस की मार्केट में काफी डिमांड है। आप एलोवेरा का बिजनेस में अपने प्रोडक्ट में एलोवेरा जूस भी शामिल कर सकते हैं, जो आपको अच्छी आय स्रोत देगा।
एलोवेरा कितने रुपए किलो बिकता है?
एलोवेरा की ताजी पत्तियों को बेचने पर ₹6 प्रति किलोग्राम का भाव मिल जाता है। इसे आप आयुर्वेदिक दवाई बनाने वाली कंपनियां तथा सौंदर्य प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों को बेच सकते हैं।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग इस खेती के लिए ऑप्शन बेस्ट है। एलोवेरा का पल्प आपको ₹16 से ₹18 किलो का बेचना होता है। आप किसी कंपनी में कॉन्ट्रैक्ट बेस पर कार्य करते हैं तो आपको अपनी अनिंग अच्छी होती है।
एलोवेरा की फसल के लिए मार्केट उपलब्ध करा रही है कंपनी तथा गवर्नमेंट
आधुनिक युग में एलोवेरा की बढ़ती डिमांड के साथ कुछ कंपनी द्वारा किसानों के लिए मार्केट उपलब्ध करा रही हैं। किसानों ने इंटरनेट के जरिए इंदौर की प्राइवेट कंपनी से संपर्क किया।
ऐसी कई कंपनियां हैं, जो एलोवेरा की खेती के लिए किसान से अनुबंध करती हैं, वे पौधे उपलब्ध करवाने के बाद खेत पहुंचकर उपज की परिधि भी करती हैं। यह कंपनियां किसानों को एलोवेरा के लिए मार्केट उपलब्ध करा रही हैं, जिससे किसानों के लिए काफी आसानी हो गई है।
इसके अलावा किसान सरकारी उद्यानिकी विभाग क्या अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि कॉलेज से संपर्क कर इस खेती के बारे में जानकारी ले सकते हैं। किसान चाहे तो सीधे आयुर्वेदिक या अन्य हर्बल प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी को भी चुन सकते हैं। जानकारी भी आपको गवर्नमेंट कृषि केंद्र से मिल जाएगी।
FAQ
साल का ₹50000 का खर्चा।
हर्बल, सौंदर्य प्रसाधन, औषधि के रूप में।
रेतीले रेगिस्तान तथा गर्म जलवायु वाले।
पतंजलि, डाबर, बैधनाथ आदि।
8 से 10 लाख रुपए।
निष्कर्ष
एलोवेरा की खेती करने का व्यापार (Aloe Vera Business) सबसे अच्छा व्यापार है। इस व्यापार के द्वारा बहुत कम मेहनत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। एलोवेरा की दिन प्रतिदिन बाजारों में बहुत अधिक डिमांड बढ़ रही है।
आप एलोवेरा की व्यापार के लिए अच्छी क्वालिटी के एलोवेरा को लगाकर खेती कर सकते है। इसके लिए आप ऑनलाइन प्रचार करके अपने व्यापार को बढ़ा सकते है।
उम्मीद है यह लेख आपको पसंद आया होगा। इस आर्टिकल एलोवेरा खेती करके पैसे कैसे कमाएं? (Aloe Vera Farming Business in Hindi) के माध्यम से आपको एलोवेरा की खेती से किस प्रकार से कर के अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। इन सभी के बारे में इसमें पूरी जानकारी दी गई है। यदि आपका इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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