Azim Premji Success Story in Hindi: अजीम प्रेमजी भारत के जाने-माने उद्योगपति है। यह भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो (Wipro) के मालिक हैं। एक बड़े उद्योगपति के साथ इन्हें परोपकारी दानवीर भी कहा जाता है।
इनकी कंपनी विप्रो आज 300 अरब रुपए से भी ज्यादा की नेटवर्थ वाली कंपनी बन चुकी है। इस कंपनी की शुरुआत एक छोटी कंपनी से की गई थी।
उसके बाद अजीम प्रेमजी अपनी मेहनत, लगन और कामयाबी के दम पर इसे एक मल्टीनैशनल कॉरपोरेशन में बदलने में सक्षम रहे। अजीम प्रेमजी का यह सफर काफी प्रेरणा दायक रहा है।
इस लेख के जरिए अजीम प्रेमजी के सक्सेस स्टोरी (Azim Premji Success Story in Hindi) और उनके संघर्ष के बारे में विस्तार से बताया है।
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बहुत कम उम्र में ही पिता को खोना पड़ा
अजीम प्रेमजी का जब जन्म हुआ था उसी साल उनके पिता ने वनस्पति तेल और कपड़ा धोने वाले साबुन बनाने की कंपनी की स्थापना की थी और इस कंपनी का नाम वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड था।
इस कंपनी ने काफी प्रोग्रेस किया। चूंकि एक अच्छे बिजनेसमैन के परिवार से ताल्लुक रखने के कारण अजीम प्रेमजी के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी थी, जिसके कारण उन्हें पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं हुई।
उन्होंने मुंबई से स्कूली शिक्षा ली। उसके बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी चले गए, जहां पर उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का कोर्स किया।
उस समय वे 21 वर्ष के थे जब उनके जीवन में एक ऐसी घटना घटी, जिसने उन्हें तोड़ के रख दिया। 1966 को उनके पिता का देहांत हो गया।
उनका कोर्स खत्म होने में मात्र 6 महीने ही बाकी थे कि अचानक से उनकी मां का फोन आया कि उनके पिता का देहांत हो गया है और उन्हें वापस घर लौटना होगा।
हालांकि वह क्षण अजीम प्रेमजी के जीवन का सबसे मुश्किल भरा क्षण था लेकिन उसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।
पिता की मृत्यु के बाद कंपनी को खुद संभालने का फैसला लिया
पिता की मृत्यु हुई तब उनकी कंपनी काफी कर्जे में डूब चुकी थी। वेस्टर्न वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड कंपनी लगातार नुकसान झेल रही थी। उस समय अजीम प्रेमजी मात्र 21 वर्ष के थे।
एक ओर उम्र कम थी और दूसरे ओर अनुभव की भी कमी थी। लेकिन उन्होंने हौसला रखा और इस कंपनी को संभालने का फैसला किया।
यहां तक कि उनकी कंपनी के 1 शेयर होल्डर को इनके ऊपर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था। लेकिन अजीम प्रेमजी ने इसे एक चैलेंज के तौर पर लिया। अजीम प्रेमजी के काबिलियत और मेहनत के कारण कंपनी ने जल्द ही रफ्तार पकड़ ली।
आइटी सेक्टर में उतरने का बनाया मन
अजीम प्रेमजी की वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड कंपनी ठीक-ठाक चल रही थी, लेकिन अमेरिका से लौटने के बाद उन्हें समझ में आ गया था कि आने वाला समय आईटी का है। इसीलिए उन्होंने इस सेक्टर में अपनी किस्मत आजमाई।
उस समय उन्होंने अपनी कंपनी वेस्टर्न वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड का नाम बदलकर विप्रो कर दिया। इस तरह विप्रो कंपनी का उदय 1977 ईस्वी में हुआ।
1980 में आईबीएम आईटी कंपनी भारत से अपने कारोबार समेट कर निकल पड़ी, जिसके बाद अजीम प्रेमजी ने समझ लिया कि इस क्षेत्र में आगे काफी फायदा होने वाला है।
जिसके बाद विप्रो कंपनी ने एक अमेरिकी कंपनी सेंटिनल कंप्यूटर्स के साथ हाथ मिलाया और माइक्रो कंप्यूटर्स बनाने का काम शुरू कर दिया। कुछ समय के बाद विप्रो ने हार्डवेयर को सपोर्ट करने वाले सॉफ्टवेयर का भी निर्माण करना शुरू कर दिया।
1995 में अजीम प्रेमजी ने बीच में छोड़े अपने इंजीनियरिंग के कोर्स को 30 साल के बाद दोबारा स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पूरा किया। 1996 में कंपनी के हेड क्वार्टर को बेंगलुरु में शिफ्ट किया गया।
इस तरह अजीम प्रेमजी ने पिता के द्वारा शुरू किए गए तेल और साबुन बनाने की कंपनी से अपने करियर की शुरुआत करते हुए एक आईटी कंपनी तक का सफर तय किया।
एक सफल आईटी कंपनी विप्रो का निर्माण करने में सफल रहे, जो आज एक ग्लोबल आईटी कंपनी है और विश्व के तीसरे मल्टीनेशनल कंपनियों में इसका नाम आता है।
आज इस कंपनी में भारत सहित पूरे विश्व भर से 231000 से भी ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। विप्रो कंपनी NSE निफ़्टी 50 में भी शामिल है। साल 2019 में अजीम प्रेमजी ने विप्रो के चेयरमैन पद से रिटायरमेंट ले लिया और इस पद को अपने बड़े बेटे रिशद प्रेमजी को सौंप दिया।
अजीम प्रेमजी के जीवन के कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं
अजीम प्रेमजी दिल के बहुत ही अच्छे इंसान है। इनके जीवन की एक घटना इनके महान व्यक्तित्व को दर्शाती है। एक बार अजीम प्रेमजी के पार्किंग स्थान पर उनके कर्मचारी ने कार पार्क कर दी थी।
सभी अधिकारियों को पता चला तो सर्कुलर जारी कर के भविष्य में उस जगह पर किसी भी कर्मचारी को गाड़ी ना खड़ा करने की जानकारी दी गई।
लेकिन प्रेम जी ने उस सर्कुलर का जवाब भेजते हुए कहा कि अगर पार्किंग का स्थान खाली है तो वहां कोई भी गाड़ी पार्क कर सकता है। अगर मुझे वहां पर गाड़ी पार्क करना है तो मुझे उनसे पहले ऑफिस पहुंचना होगा।
अजीम प्रेमजी आज इतने सफल उद्योगपति होने के बावजूद भी हमेशा से ही अपने जड़ों से जुड़े हुए हैं। उनके अंदर जरा भी अहंकार नहीं है और इसी व्यक्तित्व को दर्शाता हुआ उनके साथ एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटना हुई थी।
एक बार जब विप्रो के डब्ल्यूईपी सॉल्यूशन्स के एमडी राम नारायण अग्रवाल 1977 में विप्रो से जुड़े तो उस समय उनका इंटरव्यू होना था।
वह 7:00 बजे ऑफिस पहुंचे, उस समय उन्होंने देखा कि एक युवक सुबह 7:00 बजे आकर ऑफिस खोलने लगा और बाद में वह युवक उन्हें रिसेप्शन पर बिठाकर अंदर चला गया।
बाद में उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया तो रामनारायण दंग रह गए क्योंकि ऑफिस खोलने वाला युवा कंपनी का कोई कर्मचारी नहीं बल्कि खुद अजीम प्रेमजी थे।
अजीम प्रेमजी बहुत ही वफादार और इमानदार उद्योगपति है और रिश्वतखोरी के हमेशा खिलाफ रहते हैं। इसी से जुड़ी उनके साथ एक घटना 1987 में हुए जब कर्नाटक की तुमकुर में विप्रो ने कारखाना खोलने के लिए बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया।
लेकिन कर्मचारी ने कंपनी से ₹100000 की रिश्वत मांगी। तब अजीम प्रेमजी ने कहा कि अगर बिजली सप्लाई नियम से होगी तब लेंगे, वरना खुद बिजली का निर्माण कर लेंगे।
इसके कारण उन्हें जनरेटर से काम चलाना पड़ा था, जिसके कारण उन्हें एक करोड़ से भी ज्यादा रुपए का नुकसान हुआ था। लेकिन यह घटना उनके ईमानदार व्यक्तित्व को बयां करती हैं।
एक सफल उद्योगपति के साथ ही परोपकारी व्यक्ति भी है अजीम प्रेमजी
अजीम प्रेमजी आज भारत के तीसरे सबसे बड़े आईटी कंपनी विप्रो के मालिक हैं लेकिन उन्हें दानवीर कर्ण के रूप में जाना जाता है। वह दानवीर कर्ण की तरह ही परोपकारी हैं। अजीम प्रेमजी अपनी कमाई का मोटा हिस्सा परोपकारी कार्यों में लगाते हैं।
इनके नाम से कई फाउंडेशन चलते हैं, जो भारत में स्कूली शिक्षा से लेकर कई महत्वपूर्ण कार्य करते हैं और इस फाउंडेशन के नाम इन्होंने अपने सेट से भी ज्यादा शेयर कर चुके हैं।
साल 2022 में इन्होंने रोज ₹270000000 का दान किया था। इस तरीके से में 2022 में दूसरे सबसे बड़े दानवीर के लिस्ट में उनका नाम दर्ज हो गया था।
FAQ
साल 2011 में अजीम प्रेमजी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था, जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान होता है।
Wipro के मालिक अजीम प्रेमजी बहुत ही परोपकारी उद्योगपति हैं। इनका खुद का एक अजीम प्रेमजी नाम से फाउंडेशन है, जो शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में टैलेंट को बढ़ावा देने का कार्य करती हैं। इसके लिए बंगलुरु में अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की स्थापना भी की गई है।
वर्तमान में विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी के बड़े बेटे रिशद प्रेमजी है। 31 जुलाई 2019 को अजीम प्रेमजी विप्रो के चेयरमैन के पद से रिटायर हुए थे।
विप्रो कंपनी भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है, जिसकी शुरुआत वेस्टर्न वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड कंपनी के नाम पर किया गया था, जो शुरुआत में तेल और साबुन बनाने का काम करती थी। लेकिन 1977 में इसको एक आईटी कंपनी के रूप में विप्रो नाम दिया गया।
विप्रो कंपनी एक आईटी कंपनी है, जो सॉफ्टवेयर बनाती है। इसके साथ ही FMGC कंपनियों को सॉफ्टवेयर और कंसलटिंग सर्विस प्रदान करती है।
अजीम प्रेमजी के पिता का नाम मोहम्मद हाशिम प्रेमजी था, जो burma (म्यांमार) में एक नामी चावल के कारोबारी हुआ करते थे। वहां पर इन्हें राइस किंग ऑफ बर्मा कहा जाता था। लेकिन बाद में इनके पिता भारत आ गए और गुजरात में ही चावल का कारोबार शुरू कर दिए।
निष्कर्ष
इस लेख में आपने भारत का नामी आईटी कंपनी विप्रो के मालिक अजीम प्रेमजी के सक्सेस स्टोरी के बारे में जाना है।
हालांकि यह एक व्यापारी परिवार से ताल्लुक रखते थे लेकिन उसके बावजूद इन्होंने अपने जीवन में कई संघर्ष किए। मात्र 21 वर्ष में अनुभव की कमी होने के बावजूद इन्होंने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर तेल और साबुन बनाने वाली कंपनी से लेकर तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी तक का सफर तय किया।
इन्होंने अपने जीवन में ना केवल पैसा कमाया बल्कि दिल खोलकर दान भी किए। इसीलिए इन्हें भारत के परोपकारी उद्योगपतियों में गिना जाता है।
हमें उम्मीद है कि इस लेख में अजीम प्रेमजी के सफलता की कहानी (Azim Premji Success Story in Hindi) को पढ़कर आपको प्रेरणा मिली होगी। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ हुई जरूर शेयर करें।
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