Home » सक्सेस स्टोरी » दिलीप संघवी: ₹10000 उधार लेकर शुरू की कम्पनी, एक बार मुकेश अंबानी को पछाड़ा

दिलीप संघवी: ₹10000 उधार लेकर शुरू की कम्पनी, एक बार मुकेश अंबानी को पछाड़ा

Dilip Shanghvi Success Story in Hindi: दिलीप संघवी जो सन फार्मा कंपनी के मालिक हैं। इतनी बड़ी कंपनी के निर्माण करने का यह सफर उनके लिए अर्श से फर्श तक का रहा है।

भारत में ज्यादातर फार्मा कंपनियों के मालिक ने दवा संबंधित कोर्स कर रखे हैं। लेकिन दिलीप संघवी ने कॉमर्स ग्रेजुएट होने के बावजूद उन्होंने मेडिसिन के क्षेत्र में इतनी बड़ी कंपनी को खड़ा करके आज भारत के नामी उद्योगपतियों में अपना नाम दर्ज करवाया है।

dilip shanghvi
दिलीप संघवी

आज भले ही यह कंपनी भारत की नामी फार्मा कंपनियों में आती है लेकिन इस कंपनी को शुरू करने के लिए दिलीप संघवी ने ₹10000 उधार लिए थे और अपने लगन और मेहनत के दम पर इतनी बड़ी कंपनी का निर्माण किया।

नवीनतम बिजनेस आइडिया और पैसा कमाने के तरीके जानने के लिए हमारे वाट्सऐप पर जुड़ें Join Now
नवीनतम बिजनेस आइडिया और पैसा कमाने के तरीके जानने के लिए हमारे टेलीग्राम पर जुड़ें Join Now

यहां तक कि उन्होंने अपने कैरियर में इस हद तक सफलता पाई कि एक समय उन्होंने रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी तक को भी पछाड़ कर आगे निकल गए थे।

तो आज के इस लेख के माध्यम से दिलीप संघवी की सफलता की कहानी (Dilip Shanghvi Success Story in Hindi) को जानते हैं जो निश्चित ही आने वाले युवाओं को प्रेरित करेंगी।

₹10000 उधार लेकर शुरू किया अपना करियर

दिलीप संघवी ने शुरुआत में अपनी ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद अपने पिता के साथ ही दवाइयों का काम करना शुरू कर दिया था। वह अपने पिता को दवाइयों के काम में मदद करते थे लेकिन उनका लक्ष्य एक ही था कि दवाई के कारोबार में देश में सर्वश्रेष्ठ बनना है।

कोई नहीं जानता था कि गुजरात के दवा वितरक के घर में जन्मा यह शख्स एक समय दवा बाजार का सिरमौर बन जाएगा। लेकिन इनके हौसले बुलंद थे, जिसने इन्हें फार्मा के क्षेत्र में एक प्रसिद्ध उद्योगपति बना डाला।

कुछ ही साल के बाद वे कुछ बड़ा करने का लक्ष्य लेकर 1982 में अपने पिता से लगभग ₹10000 उधार लेकर मुंबई चल गए। मुंबई में कुछ लोगों के साथ मिलकर सन फार्मा कंपनी की स्थापना की, जिसने एक ही साल में 70 लाख दवाइयों की बिक्री की।

वापी में अपनी पहली मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई

मुंबई में कारोबार शुरू करने के बाद कुछ रुपए कर्ज पर लेकर दिलीप सांघवी ने गुजरात के वापी शहर में सन फार्मा इंडस्ट्री के नाम से एक छोटा सा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की स्थापना की, जहां पर उन्होंने केवल 5 कर्मचारियों को नियुक्त किया था।

शुरुआत में यह फैक्ट्री पांच प्रकार के दवाओं का ही उत्पादन करती थी। हालांकि दिलीप सांघवी की खासियत यही थी कि इन्हें इससे कोई मतलब नहीं था कि अन्य फार्मा कंपनी किस तरह का दवा बनाती है।

यह अपने तरीकों पर ध्यान देते थे और जटिल और लंबी चलने वाले रोगों के लिए दवाइयों को बनाने पर ध्यान देते थे। धीरे-धीरे इनके ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी, जिसके बाद कंपनी ने दवाइयों के उत्पादन और उसके प्रकार में वृद्धि किया।

देखते ही देखते सन फार्मा कंपनी की दवाइयां पूरे भारत में बिकनी शुरू हो गई। इस समय तक मार्केट में Ranbaxy और Cipla फार्मा के क्षेत्र में नामी कंपनियां थी, जिनसे दिलीप संघवी की भारी प्रतिस्पर्धा थी।

लेकिन इन्होंने अपने स्पष्ट लक्ष्य और दृढ इरादे से इन कंपनियों तक को भी पछाड़ दिया। इन्होंने बिना पेटेंट वाली दवाइयों के पोर्टफोलियो में वृद्धि की और यह दवाइयां प्रतियोगियों की प्राथमिकता से बाहर थी।

दिलीप संघवी ने मूल्य की नीति, सेल्स, ब्रांड और डिसटीब्यूशन चैनल पर अधिक ध्यान दिया। इनकी इस बेहतरीन नीति से ये अपनी फार्मा कंपनी को कुछ ही सालों में कामयाबी के बुलंद ऊंचाइयों पर पहुंचाने में सफल हो पाए।

1989 से इन्होंने भारत सहित आसपास के देशों में भी अपने कंपनी के दवा का निर्यात करना शुरू कर दिया। 1991 में खुद का एक रिसर्च सेंटर भी खोला।

हालांकि ऐसा नहीं है कि यहां तक का सफर तय करने में इन्हें नुकसान नहीं झेलना पड़ा। यहां तक पहुंचना इनके लिए मील के पत्थर के बराबर था।

हालांकि ये भी जानते थे कि इस व्यापार में खतरा भी है लेकिन इनका कहना था कि रिस्क इतना कैलकुलेटेड होना चाहिए कि कंपनी को कोई नुकसान ना पहुंचे।

Ranbaxy Laboratories जैसे देश की सबसे प्रमुख प्रतिद्वंदी कंपनी को खरीदा

दिलीप संघवी के कंपनी से होने वाला सबसे ज्यादा फायदे के पीछे का कारण है घाटे में चल रही कंपनियों को खरीदना था। 1987 से लेकर अब तक दिलीप संघवी ने 19 से भी ज्यादा घरेलू और विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया।

नुकसान झेल रही कंपनियों को खरीद कर इन्होंने अपने काबिलियत के दम पर उन कंपनियों को मुनाफा देने वाली कंपनी में बदल दिया और आज उनके आमदनी का एक बड़ा भाग इन्हीं अधिकृत कंपनियों से प्राप्त होता है।

1987 में इन्होंने सबसे पहले 5 करोड़ डॉलर में अमेरिका की फार्मा कंपनी कैको फार्मा को खरीदा था, जो उस समय काफी नुकसान झेल रही थी। आगे इन्होंने अमेरिका की और भी दो फार्मा कंपनी वैलियेंट फार्मा और एबल फार्मा को खरीदा था।

अब तक इनके द्वारा खरीदे गए कुछ फार्मा कंपनियों में कुछ कंपनियां इनके फार्मा सेक्टर को बुलंदियों पर पहुंचा दिया है, जिसमें सबसे पहली कंपनी है टैरो फार्मा।

यह इजराइल की कंपनी है। इसे दिलीप सांघवी ने 45 करोड़ डॉलर में खरीदा था और यह सबसे फायदेमंद डील साबित हुई थी। क्योंकि आज दिलीप संघवी की फार्मा के क्षेत्र में 50% से भी ज्यादा कमाई इसी कंपनी से होती है।

सन फार्मा के व्यवसाय में सबसे बड़ी सफलता साल 2014 में मिली जब दिलीप सांघवी ने 4 अरब डॉलर में रैनबेक्सी लैबोरेट्रीज का अधिग्रहण कर लिया, जो एक समय इनकी प्रमुख प्रतिद्वंदी कंपनी हुआ करती थी। इस कंपनी को खरीदना दिलीप संघवी को भारतीय फार्मा सेक्टर का शहंशाह बना डाला।

देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी से भी आगे निकले

दुनिया भर के 24 से भी ज्यादा देशों में दिलीप संघवी की सन फार्मा कंपनी का नेटवर्क फैला हुआ है। यह कंपनी भारत में जैनरिक दवा बनाने वाली नंबर वन कंपनी बन चुकी है।

2022 की रिपोर्ट के अनुसार इस कंपनी का कुल नेटवर्क 1560 करोड़ यूएसडी को पार कर चुकी थी। कोरोना महामारी 2020 के बाद इस कंपनी के राजस्व में काफी वृद्धि हुई है। कोविड-19 के दौरान इस कंपनी के संपत्ति में अब तक 17% तक की वृद्धि हुई है।

हालांकि फोर्ब्स के रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में दुनिया के 10 सबसे अमीर भारतीय व्यक्तियों की सूची से दिलीप सांघवी बाहर है। लेकिन एक ऐसा भी समय था जब उन्होंने देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी से भी आगे निकल गए थे।

मुकेश अंबानी से भी ज्यादा अमीर हो चुके थे। लेकिन उसके बाद मुकेश अंबानी की संपत्ति काफी तेजी से बढ़ी, जिसके कारण अमीरों की सूची में ये फिर से शीर्ष पर आ गए।

दिलीप सांघवी को दिए गए पुरस्कार

दिलीप संघवी भारत के जाने माने फार्मा कंपनी सन फार्मास्युटिकल्स के मालिक को कई तरह के अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

  • सबसे पहला अवॉर्ड इन्हे साल 2011 में आईबीएन इंडियन ऑफ द ईयर इन बिजनेस का सम्मान मिला था, जो सीएनएन की तरफ से दिया गया था।
  • साल 2015 में इन्हें फोर्ब्स पत्रिका के द्वारा दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति भी घोषित किया गया था।
  • साल 2016 में दिलीप जी को भारत सरकार के द्वारा भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।

FAQ

दिलीप सांघवी कहां तक पढ़े हुए हैं?

दिलीप सांघवी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से कॉमर्स विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की है।

दिलीप सांघवी का जन्म कब हुआ था?

दिलीप सांघवी का जन्म 1 अक्टूबर 1955 को गुजरात राज्य के अमरेली जिले में हुआ था। लेकिन इनका पूरा बचपन कोलकाता में बीता है।

दिलीप सांघवी के माता पिता का क्या नाम है?

दिलीप सांघवी की माता का नाम कुमुद सांघवी और पिता का नाम शांति लाल सांघवी है।

दिलीप सांघवी कौन सी जाति के हैं?

दिलीप सांघवी जैन परिवार से आते हैं।

दिलीप संघवी के कितने बच्चे हैं?

दिलीप संघवी की पत्नी विभा संघवी है और इन दोनों को एक पुत्र और एक पुत्री है। पुत्री का नाम विधि संघवी और पुत्र का नाम आलोक संघवी है।

निष्कर्ष

इस लेख में भारत की नामी फार्मा कंपनी सन फार्मास्यूटिकल के मालिक दिलीप सांघवी के सफलता की कहानी (Dilip Shanghvi Success Story in Hindi) के बारे में जाना।

दिलीप सांघवी जिन्होंने बहुत कम उम्र से ही अपनी करियर बनाने के बारे में सोच लिया था। हालांकि उन्होंने इतनी बड़ी कंपनी को स्थापित करने में कई संघर्ष भी किए लेकिन इनकी सफलता की कहानी से हर एक युवा को यही सीख मिलती है कि जीवन में तूफान का आना कभी भी हो सकता है, उसके लिए हमें सदैव तैयार रहना चाहिए।

आज उनकी अपनी मेहनत और लगन के कारण उनकी कंपनी पूरी दुनिया में टॉप 10 जेनेरिक दवा बनाने वाली कंपनियों के सूची में शामिल हो पानी में कामयाब हुई है।

हमें उम्मीद है कि आज का यह लेख आपको पसंद आया होगा। इस लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें ताकि दिलीप सांघवी के सफलता की कहानी को जानकर हर कोई प्रेरित हो सके।

इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो आप हमें कमेंट में लिख कर बता सकते हैं।

यह भी पढ़े

10 रुपये से शुरू किया बिजनेस आज हैं अरबों डॉलर की कंपनी के मालिक

नवीनतम बिजनेस आइडिया और पैसा कमाने के तरीके जानने के लिए हमारे वाट्सऐप पर जुड़ें Join Now
नवीनतम बिजनेस आइडिया और पैसा कमाने के तरीके जानने के लिए हमारे टेलीग्राम पर जुड़ें Join Now

Leave a Comment