Kulhad Banane Ka Business Kaise Kare: आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं कुल्हड़ बनाने के व्यवसाय के बारे में। इसके साथ ही हम बात करेंगे इस व्यवसाय की मांग, लागत, जोखिम और बनाने की प्रक्रिया के बारे में। तो चलिए बात करते हैं कुल्हड़ के व्यवसाय के बारे में।
मिट्टी से बने हुए बर्तनों का प्रचलन प्राचीन समय से होता आ रहा है। पहले लोग अपने दैनिक उपयोग में काम आने वाले बर्तनों और जरूरी सामानों का निर्माण मिट्टी के द्वारा ही करते थे। लेकिन जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ती गई लोगों ने मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करना भी बंद कर दिया और इसके स्थान पर प्लास्टिक, स्टील और कांच का उपयोग किया जाने लगा।
लेकिन टेक्नॉलॉजी के साथ-साथ सभी उत्पादों का हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव होने लगा और इन नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए आज हम पुनः मिट्टी के बर्तनों का प्रचलन शुरू कर रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने और खाने से उसके पोषक तत्वों में कमी नहीं आती है। इसलिए भारत सरकार मिट्टी से बने बर्तनों के उपयोग के लिए प्रोत्साहन दे रही है।
मिट्टी के कुल्हड़ बनाने का बिजनेस शुरू करें? | Kulhad Banane Ka Business Kaise Kare
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कुल्हड़ बनाने के बिजनेस को कैसे शुरू करें?
कुल्हड़ बनाने का बिजनेस जिसे शुरू करने के लिए लकड़ी से लेकर काम आने वाली अन्य उपकरण का इंतजाम पहले करना होता है। कुल्हड़ बनाने का बिजनेस बहुत अच्छा बिजनेस है लेकिन वर्तमान में लकड़ी की मांग को देखते हुए इस बिजनेस को शुरू करते समय कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस आर्टिकल में कुल्हड़ बनाने के बिजनेस के बारे में जानकारी आपको उपलब्ध करवाई गई है।
वर्तमान समय में कुल्हड़ की मांग
वर्तमान समय में आप कहीं भी घूमने फिरने या खाने पीने वाली जगहों पर आप जाते हैं तो देखते हैं कि वहां पेय पदार्थों के लिए प्लास्टिक से बने हुए डिस्पोजल गिलास का उपयोग किया जाता है। इन्हें एक बार उपयोग करने के बाद व्यक्ति इन्हें खुले में ही छोड़ देता है।
प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है, जो कभी भी नष्ट नहीं होता है और यह हमारे वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव छोड़ता है। पर्यावरण को प्रदूषित करता है, जिस कारण सरकार इन्हें प्रतिबंधित करने के लिए आगे बढ़ रही है और इसके विकल्प के रूप में कुल्हड़ और मिट्टी से बने हुए गिलास को प्रोत्साहित कर रही है।
सरकार के द्वारा इन पर रोक लगाकर लोगों से अपील की गई है कि वे मिट्टी से बने हुए ग्लास का ही उपयोग करें और उनको बढ़ावा दें, जिससे इस व्यवसाय की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है और भविष्य में यह बहुत ही मुनाफा देने वाला व्यवसाय भी होगा।
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कुल्हड़ व्यवसाय में लगने वाला कच्चा माल
कुल्हड़ बनाने के व्यवसाय में यदि कच्चे माल की बात की जाए तो इसे बनाने में एक अच्छी क्वालिटी की मिट्टी का उपयोग किया जाता है, जो आप किसी नदी या फिर तालाब के आसपास से प्राप्त कर सकते हैं।
दूसरा कच्चा माल सांचा होता है। आप जिस भी आकार का कुल्हड़ बनाना चाहते हैं आप उस आकार के हिसाब से सांचे को बाजार से खरीद सकते हैं। एक बार कुल्हड़ बन जाने के बाद इसे मजबूत करने के लिए इसे पकाना होता है। तो इस के लिए एक बड़े आकार की भट्टी की आवश्यकता होती है। भट्टी का निर्माण करने के बाद आप इस में बनी हुई कुल्लड़ को पका सकते हैं।
कुल्हड़ के विभिन्न आकार
बाजार में विभिन्न प्रकार के और विभिन्न आकार की कुल्लड़ मौजूद हैं, जो उनकी उपयोगिता के आधार पर उपयोग किए जाते हैं। चाय के लिए प्रयोग में छोटे आकार की कुल्हड़ की आवश्यकता होती है। वही दूध और लस्सी के लिए बड़े आकार के कुल्लड़ की जरूरत होती है। ऐसा कहा जाता है कि कुल्लड़ में लस्सी पीने से उसकी ठंडक बनी रहती है और उसका स्वाद बढ़ जाता है।
कुल्हड़ बनाने की मशीन
आज के समय में बाजार में विभिन्न प्रकार की मशीनें उपलब्ध होती है, जो आपके कार्य को सरल और सुलभ बना देती हैं। कुल्हड़ की यदि बात की जाए तो इसे बनाने की मशीनें भी बाजार में उपलब्ध है, जो विभिन्न आकार और प्रकार के कुल्लड़ बनाने में सक्षम होती हैं। आप जिस भी प्रकार का कुल्हड़ बनाना चाहते हैं, आप उस साइज की मशीन बाजार से खरीद सकते हैं।
सरकारी योजनाओं का लाभ
जैसा कि हमने पूर्व उल्लेखित किया है कि वर्तमान सरकार प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा रही है और उसके स्थान पर कुल्हड़ को प्रोत्साहित कर रही है। क्योंकि साइंस का मानना है कि प्लास्टिक के पदार्थ में सेवन करने से हानिकारक तत्व हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और वह व्यक्ति को बीमार बना देते हैं।
इसलिए हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा कुम्हारों को सशक्त करने के लिए कुंभार सशक्तिकरण योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के द्वारा कुम्हार का कार्य करने वाले व्यक्तियों को इलेक्ट्रॉनिक चौक प्रदान की जा रही है और सरकार दावा करती है कि मिट्टी के बर्तनों को कुम्हारों से एक अच्छी कीमत पर खरीदा जाएगा, जिससे कि कुम्हार भी सशक्त होंगे।
अतः यह व्यवसाय भविष्य में बहुत ही लाभकारी और कम लागत का व्यवसाय होगा, क्योंकि सरकार के द्वारा इसे सहायता प्रदान की जा रही है।
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कुल्हड़ व्यवसाय के लिए लाइसेंस
किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले हमें कुछ कानूनी औपचारिकताएं पूरी करनी होती है। जैसे कि ट्रेड लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होता है। उसके साथ ही कुल्हड़ व्यवसाय को शुरू करने से पहले हमें एमएसएमई के तहत भी रजिस्टर करना होता है, जिससे हमें कुछ सरकारी फायदे भी प्राप्त होते हैं।
इसके अलावा वर्तमान में जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना हर बिजनेस के लिए अनिवार्य हो गया है। यदि आपके बिजनेस का सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपए हैं या इससे अधिक है तो आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाकर जीएसटी नंबर लेना होगा।
कुल्हड़ व्यवसाय के लिए स्थान का चयन
कुल्हड़ के व्यवसाय के लिए हमें पर्याप्त स्थान की आवश्यकता होती है, जहां पर हम अपने कुल्हड़ को बनाकर धूप में सुखा सकें एवं उस स्थान पर पर्याप्त सूर्य की रोशनी हो, जितना अच्छा प्रकाश होगा।
कुल्हड़ भी उतनी ही जल्दी सूख जाएंगे और बिकने के लिए तैयार हो जाएंगे। अतः इसके लिए हमें पर्याप्त रोशनी वाले स्थान की आवश्यकता होती है।
कुल्हड़ बनाने की प्रक्रिया
कुल्हड बनाने के लिए हमें एक प्रक्रिया को फॉलो करना होता है, जिसमें हमें सबसे पहले एक अच्छी क्वालिटी की मिट्टी की आवश्यकता होती है। उस मिट्टी को हमें बारीक आटे की तरह पीस लेना होता है। ऐसा हम किसी मशीन के द्वारा भी कर सकते हैं।
मिट्टी को पीसने के बाद हम इसे खुला छोड़ देते हैं। कुल्हड़ बनाने के लिए हमें एक मशीन और सांचे की आवश्यकता होती है। इसमें हम मिट्टी और पानी के गुथे हुए मिश्रण को सांचे की सहायता से मशीन में डालकर मनचाहा आकार प्राप्त करते हैं।
सांचे में से कुल्हड़ आसानी से निकल आए इसके लिए हम उसमें तेल या फिर पाउडर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कुल्हड़ सुरक्षित रहता है। आपके कुल्हड का साइज सांचे के बराबर ही होता है। मतलब जितने मिलीलीटर का सांचा होगा, उतनी ही मिली लीटर का कुल्हड़ भी बनकर तैयार होगा। आकार देने के बाद इसे हम सूर्य की रोशनी में खुला छोड़ देते हैं ताकि वह अच्छे से सूख जाए।
धूप में सूखने के पश्चात हमारे लिए भट्टी की आवश्यकता होती है। इसे हम अपनी जरूरत के हिसाब से बना सकते हैं। धूप में कुल्हड़ अच्छी तरह सूख जाने के पश्चात हम भट्टी में बुरादा आदि डालकर उसे जलाते हैं और कुल्हड़ को पकाते हैं।
जब कुल्हड़ का रंग धीरे-धीरे बदलने लगे तो समझ जाएं कि कुल्लड़ पक गया है और आप इसको भट्टी के अंदर से बाहर निकालें। इस प्रक्रिया के पश्चात आपका कुल्हड़ बाजार में बिकने के लिए तैयार हो जाता है।
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कुल्हड़ की पैकेजिंग
कई बार हमें अपने कुल्हड़ को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजना होता है या फिर किसी दूर स्थान पर भी भेजना होता है। हम जानते हैं कि कुल्हड़ मिट्टी से बनाए जाते हैं। अतः इनको भेजते समय हमें थोड़ी सी सावधानी भी रखनी होती है।
इनको सुरक्षित भेजने के लिए हमें कुल्हड़ की पैकेजिंग अच्छी तरह करनी होती है। यदि आप पास के ही मार्केट में इन्हें बेचना चाहते हैं तब आपको किसी विशेष पैकेजिंग की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन लंबे रूट को तय करते समय आपको कुल्हड़ को अच्छी तरह पैक करना होगा।
कुल्हड़ व्यवसाय की लागत
कुल्हड़ व्यवसाय कि यदि लागत की बात की जाए तो इस व्यवसाय में ज्यादा लागत नहीं आती हैं। क्योंकि इसमें हमें सिर्फ मशीनरी और सांचा ही खरीदना होता है। अतः यह व्यवसाय 20000 से 30000 रूपये के निवेश से भी शुरू किया जा सकता है।
इसके पश्चात रा मटेरियल के रूप में हमें केवल मिट्टी की आवश्यकता ही होती है, जो कि बहुत ही कम कीमत में आसानी से प्राप्त हो जाती है।
कुल्हड़ व्यवसाय से फायदा
कुल्हड़ व्यवसाय से यदि फायदे की बात की जाए तो यह इस व्यवसाय के आकार पर निर्भर करता है, जितना बड़ा व्यवसाय होगा मुनाफा भी उतना ही अधिक होगा। आप इस व्यवसाय को छोटे स्तर से लेकर बड़े स्तर पर भी शुरू कर सकते हैं।
क्योंकि इस व्यवसाय की मांग और डिमांड लगातार बाजारों में बढ़ रही है। इस व्यवसाय से आप अच्छा खासा फायदा कमा सकते हैं और आसपास के बिजनेस जोकि पेय पदार्थों से संबंधित हैं, उनसे संपर्क करके भी आप मांग बढ़ा सकते हैं।
कुल्हड़ व्यवसाय में जोखिम
जोखिम किसी भी व्यवसाय का अभिन्न अंग होता है। बाकी व्यवसाय की तुलना में इस व्यवसाय में जोखिम की मात्रा कम होती है। क्योंकि यह व्यवसाय बहुत ही कम लागत में शुरू किया जाता है। यदि आप सावधानीपूर्वक कुल्हड़ को स्टोर करते हैं और विक्रय करते समय सावधानी से पैकेजिंग करते हैं तो आपकी जोखिम की मात्रा कम हो सकती है।
FAQ
हर बिजनेस में इन्वेस्टमेंट बिजनेस के आधार पर निर्धारित होता है। लेकिन यदि आप निम्न स्तर का कुल्हड़ बनाने का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो ऐसे में आपको 20 से 30 हजार रूपये का इन्वेस्टमेंट करना होगा।
कुल्हड़ बनाने की विधि को शुरू करने से पहले आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। हालांकि यदि आपका बिजनेस जिस का टर्नओवर ₹25 लाख से कम है तो आपको जीएसटी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा आपको एम एस एम आई के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना होगा।
इस बिजनेस की शुरुआत करने पर ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। परंतु वर्तमान में लकड़ी की सबसे अधिक समस्या है और लकड़ी की समस्या का मुख्य रूप से इस बिज़नेस में सामना करना पड़ता है।
जी हां। भविष्य के लिए यह बिजनेस बेहतरीन ऑप्शन माना जाता है।
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने बात की कुल्हड़ व्यवसाय के बारे में (Kulhad Banane Ka Business Kaise Kare), उनसे संबंधित लागत, सरकारी योजना और फायदे के बारे में। उम्मीद है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और कुल्हड़ व्यवसाय से संबंधित सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मिले होंगे। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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