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ठेले पर बेची कुल्‍फी, कोयला डिपो में मजदूरी की, आज अंबानी-अडानी के साथ अमीरों की रेस में

RG Chandramogan Success Story in Hindi

RG Chandramogan Success Story in Hindi: हर किसी सफल व्यक्ति के पीछे एक संघर्ष और उस दौर की कहानी छुपी होती है, जो उसे एक सफल इंसान बनकर दुनिया के सामने पेश करती है। बहुत सी ऐसी कहानियां है, जिसे हम कहानी ना कहते हुए रियल स्टोरी के नाम से पुकार सकते हैं।

ऐसी ही एक रियल स्टोरी आरजी चंद्रमोगन नामक व्यक्ति की है, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत ही संघर्ष किया हुआ है और आज भारत के धन-कुबेरों में उनका नाम बड़े ही शान से लिया जाता है।

इस लेख में आरजी चंद्रमोगन के जीवन के संघर्ष (RG Chandramogan Success Story in Hindi) के बारे में जानने के साथ ही इनकी सम्पति के बारे में जानेंगे।

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चंद्र मोगन का जीवन परिचय

चंद्र मोगन का जन्म तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के थिरुथंगल में हुआ था। बहुत ही गरीब घर में जन्मे चंद्र मोहन ने मात्र 15 वर्ष की आयु में ही कोयले के एक डिपो में काम करना शुरू कर दिया था, जहां पर उन्हें पगार के रूप में ₹65 मिलते थे।

इनके पिता की किराने की एक दुकान थी, जिससे घर का खर्चा बहुत ही मुश्किल से चल पाता था। चंद्रमोगन ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया और आज हटसन एग्रो प्रोडक्ट के मालिक बन चुके हैं, जिनकी सालाना टर्नओवर आज 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की है। जोकि भारत के 93 नंबर पर सबसे अमीरों में चंद्र मोगन का नाम आता है।

कहां-कहां किया काम?

चंद्र मोगन की बात करें तो उन्होंने शुरुआत में कोयले के डिपो पर काम करना शुरू किया था। लेकिन जहां पर उन्हें नौकरी रास नहीं आई तो मात्र एक वर्ष काम करने के बाद उन्होंने इस नौकरी को छोड़ दी। जिसके बाद वह चेन्नई के लिए रवाना हो गये।

इस दौरान उन्होंने अपने पुरखों की सारी संपत्ति को बेच कर 13,000 रूपय जुटाए और उन पैसों को लेकर उनके दिमाग में एक बिजनेस आइडिया चल रहा था। चंद्र मोगन ने इस 13,000 रुपए से एक कैंडी बनाना का कारखाना लगाया, जिसमें कुछ मजदूरों को भी रखा। वह दिन-रात यहां पर मजदूरों के साथ कैंडी बनाने का काम करते थे।

फिर उसे अपने ही ठेले में दिन के समय बेचते थे। वह पूरे दिन में 10,000 स्टिक और कप आइसक्रीम को बनाते थे, जिसे वह 15 से 20 ठेलों पर लादकर उसे बेचने के लिए निकल पड़ते थे। इनका यह कारोबार बहुत ही अच्छा चल पड़ा।

साल 1995 में चंद्र मोगन ने केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में अपने और अधिक स्टॉल को लगाना शुरू कर दिया, जहां पर वह आइसक्रीम को बेचते थे। इसके साथ ही इन्होंने दूध को भी सप्लाई करना जारी कर दिया।

जिसके लिए यह गांव से दूध को एकत्रित करते थे और यह 10,000 गावों से वह 40,000 किसानों से दूध लेते थे। आज उनके प्रोडक्ट का रेवेन्यू की बात करें तो वह करोड़ों में बताया जाता है।

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