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स्कूल कैसे खोलें?, स्कूल खोलने के नियम और रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया

शिक्षा का कितना महत्व है, वह आप भली-भांति समझते होंगे। क्योंकि एक शिक्षित व्यक्ति ही अपना सही करियर बनि पाता है। वह अच्छे और बुरे की पहचान कर पाता है। अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा बहुत ही बड़ा हथियार है।

लोगों को शिक्षित करने का कार्य शैक्षणिक संस्थान करती है। भारत में सैकड़ों शैक्षणिक संस्थान है, जो लाखों छात्रों को उनके करियर और जीवन में नई ऊंचाई हासिल करने में मदद करती हैं। यह एक समाज सेवा का भी काम है।

School Kaise Khole
Image: School Kaise Khole

अगर आप भी खुद का स्कूल खोल कर बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं और एक सभ्य समाज का निर्माण करना चाहते हैं तो आज का यह लेख आपके लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा।

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इस लेख में स्कूल खोलने की प्रक्रिया (School Kaise Khole) से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी है। इसके साथ ही स्कूल खोलने के फायदे, उनके नियम, स्कूल के लिए आवश्यक जमीन, स्कूल के प्रकार, स्कूल में से जुड़े बोर्ड के बारे में सभी जानकरी देंगे।

स्कूल खोलने के फायदे

स्कूल व्यवसाय खोलने से आपको वित्तीय और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से कई लाभ मिल सकते हैं। स्कूल व्यवसाय के शुरुआत में आपको लाभ कमाने की बजाय नाम कमाने में विश्वास करना होगा।

  • स्कूल चलाने से आप अपने समुदाय में छात्रों की शिक्षा और विकास में योगदान कर सकते हैं। आप युवा शिक्षार्थियों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
  • स्कूल खोलने का बिज़नेस अच्छा मुनाफा दे सकता है लेकिन उसके लिए आपको काफी इन्वेस्टमेंट और प्लानिंग करनी पड़ेगी।
  • अगर आप एक बार अच्छी प्लानिंग के साथ स्कूल शुरू करते हैं तो यह बिज़नेस काफी जल्दी आगे बढ़ता है। क्योंकि इसमें ओर बिजनेस के मुकाबले में कंपटीशन काफी कम रहता है।
  • अच्छी तरह से स्थापित स्कूल एक दीर्घकालिक निवेश हो सकता है, जो कई वर्षों तक आपको मुनाफा देता है।
  • स्कूल शुरू करने से शिक्षकों, प्रशासनिक कर्मचारियों और सहायक कर्मचारियों के लिए नौकरी के अवसर पैदा हो सकते हैं, जिसका स्थानीय रोजगार में काफी योगदान रहता है।

जहां एक स्कूल शुरू करने के कई फायदे हैं, वहीं नियामक अनुपालन, वित्तीय प्रबंधन और एक समर्पित और योग्य कर्मचारियों की आवश्यकता सहित महत्वपूर्ण चुनौतियां और जिम्मेदारियां भी है।

इसके अतिरिक्त किसी स्कूल की सफलता स्कूल के स्थान, प्रतिस्पर्धा और प्रभावी प्रबंधन जैसे कारकों के आधार पर व्यापक रूप से भिन्न हो सकती है। इसलिए, स्कूल व्यवसाय के फलने-फूलने के लिए गहन शोध, योजना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता आवश्यक है।

भारत में स्कूल शुरू करने के लिए कानूनी आवश्यकताएँ

भारत में स्कूल शुरू करने से पहले आपको कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होगी, जिनकी सूची निम्नलिखित है:

  • भूमि और बुनियादी ढाँचा
  • ट्रस्ट/सोसाइटी/कंपनी पंजीकरण
  • संबद्धता और मान्यता: CBSE Board, ICSE Board, State Board etc
  • लाइसेंस और प्रमाणपत्र: Fire and Hygiene Certificates, Structural Safety Certificates, Upgradation Certification etc

स्कूल खोलने के लिए आवश्यक योग्यता

अगर आप एक विद्यालय खोल रहे हैं तो यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। क्योंकि एक स्कूल खोलना केवल एक बिजनेस शुरू करना नहीं है इस बिजनेस के जरिए आप सामाजिक सेवा करते हैं।

शिक्षा के माध्यम से एक सूशिक्षित और सभ्य समाज का निर्माण करने में अपना योगदान देते हैं। ऐसे में बहुत ही जरूरी है कि स्कूल खोलने से पहले इसके थोड़े अनुभव और उपयुक्त प्लानिंग होना जरूरी है । इसके लिए आप में कुछ योग्यता भी होनी चाहिए।

अगर आप शिक्षित है तभी आप शिक्षा का महत्व समझेंगे और शिक्षा का महत्व समझने पर ही आप एक स्कूल खोलकर बच्चों को सही शिक्षा देने के महत्व को भी समझेंगे। इसीलिए एक स्कूल खोलने के लिए आपको सबसे पहले खुद अच्छी शिक्षा प्राप्त होना जरूरी है।

स्कूल खोलने से पहले आपके पास बीएड या डीएलएड की डिग्री जरूर होनी चाहिए। अगर आपको बच्चों को सही तरीके से पढ़ाना और मैनेजमेंट करना आएगा तभी आप एक सही शिक्षक को अपने स्कूल में नियुक्त कर पाएंगे। इसीलिए 12वीं के बाद डीएलएड या फिर b.ed करने के बाद आपके स्कूल मैनेजमेंट का भी कोर्स करना पड़ेगा।

फिर 5 वर्ष तक कम से कम स्कूल में पढ़ाने का अनुभव भी होना अनिवार्य है। इस तरह उपरोक्त तमाम चीज करने के बाद ही आप स्कूल खोलने के लिए योग्य माने जाएंगे और सही शिक्षा देने में योगदान दे पाएंगे।

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स्कूल के संलग्न बोर्ड के प्रकार

भारत में मुख्य रूप से स्कूली शिक्षा के 4 बोर्ड है, जैसे

  • स्टेट बोर्ड (State board)
  • केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE)
  • इंडियन सर्टिफिकेट फॉर सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड (ICSE)
  • इंटरनेशनल बैकलॉरेट (IB)

स्टेट बोर्ड का स्कूल शुरू करना

भारत में कई राज्य है और हर राज्य का खुद का बोर्ड होता है, जिसमें वह कक्षा 10 और 12 के एग्जाम करवाते है। अगर आप अपनी स्कूल में स्टेट बोर्ड शुरू करना चाहते हैं तो यह काफी हद तक आपके लिए आसान हो सकता है। क्योंकि इस में आधिकारिक काम काफी हद तक आसान हो जाते हैं।

स्टेट बोर्ड स्कूल शुरू करने के लिए आपको अधिकांश मामलों में स्थानीय शिक्षा कार्यालय में डीईओ (जिला शिक्षा कार्यालय) में जाकर पंजीकरण करवाना पड़ता है। डीईओ स्कूल परिसर का निरीक्षण और आवश्यक प्रमाणीकरण के बाद स्टेट बोर्ड स्कूल शुरू करने की अनुमति देता है।

सीबीएसई स्कूल शुरू करना

भारत में सीबीएसई स्कूल शुरू करना एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है, जिसके लिए सावधानीपूर्वक योजना, पर्याप्त संसाधन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।

सीबीएसई से संबद्ध स्कूल शुरू करने के लिए, आपको विभिन्न प्रक्रियाएं पूरी करनी होगी और आपको अपनी योजना की शुरुआत से ही सीबीएसई के कुछ दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। आप प्राइमरी स्कूल से भी शुरुआत कर सकते हैं और फिर सीबीएसई बोर्ड से संबद्धता प्राप्त कर सकते हैं।

नियामक आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए कानूनी और शैक्षिक परामर्श सेवाएं आपको लेनी होगी। आप मौजूदा सीबीएसई-संबद्ध स्कूल प्रशासकों के साथ नेटवर्किंग सेटअप प्रक्रिया करके भी उनसे सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

सबसे पहले आपको धारा-8 के तहत सोसायटी/ट्रस्ट/कंपनी का पंजीकरण करवाना पड़ेगा। सीबीएसई स्कूल शुरू करने के लिए आपको न्यूनतम 1.5 एकड़ (प्रति वर्ग सीमा 3 खंड) भूमि की आवश्यकता होगी है, जिसमें मेट्रो शहरों, ए1 श्रेणी के शहरों, पहाड़ी क्षेत्र, उत्तर पूर्व और 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए कुछ छूट है। भूमि उपयोग को कृषि से गैर-कृषि में बदला जाना चाहिए।

बोर्ड मानदंडों के अनुसार स्कूल के भवन निर्माण में 6 मीटर x 9 मीटर की प्रयोगशालाओं और न्यूनतम 1200 वर्ग फुट की लाइब्रेरी के अलावा न्यूनतम आकार 6 मीटर x 8 मीटर (प्रति बच्चा 1 वर्ग मीटर) सुनिश्चित करना चाहिए।

राज्य शिक्षा बोर्ड के साथ संबद्धता/मान्यता प्रक्रिया और स्कूल के नाम पर बैंक खाता खोलने के अलावा अन्य वैधानिक प्राधिकरणों जैसे ईपीएफ, ईएसआईसी आदि के लिए आवेदन करना होगा।

राज्य से अनापत्ति प्रमाण पत्र एनओसी प्राप्त करना होगा। पहला शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद, स्कूल को उचित माध्यम से राज्य शिक्षा विभाग को अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करना होगा।

सीबीएसई से संबद्धता के लिए आवेदन सीबीएसई संबद्धता विभाग द्वारा दिए गए दिनांक विंडो विकल्पों के आधार पर सीबीएसई के साथ ऑनलाइन आवेदन दाखिल करें, जिसके लिए www.cbse.saras.gov.in पर जाया जा सकता है।

स्कूल के प्रकार

प्ले स्कूल 

भारत में प्ले स्कूल खोलना एक सही निर्णय है क्योंकि दिन बी दिन प्ले स्कूल की डिमांड बढ़ रही है। प्ले स्कूल खोलना काफी आसान है। प्ले स्कूल खोलने के लिए सबसे पहले एक ट्रस्ट बनाना पड़ता है, जिसमें कम से कम तीन सदस्यों का होना अनिवार्य है। उसके उपरांत ट्रस्ट एक्ट के अनुसार रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है।

प्ले स्कूल के लिये आपको लागत और जमीन में काफी कम निवेश करना पड़ता है। आप प्रसिद्ध ब्रांड वाले स्कूलों की फ्रेंचाइजी लेकर 2 से 3 हजार स्क्वायर फीट की जमीन पर स्कूल खोल सकते हैं। इसके लिए आपको 25 लाख जितना निवेश करना पड़ता है।

प्राइमरी स्कूल

प्राइमरी शिक्षा देश के हर बच्चे के लिए सबसे जरुरी है। अगर आप भी प्राइमरी स्कूल खोलना चाहते हैं तो आपका यह निर्णय बिलकुल सही है। स्कूल खोले के लियम काफी आसान है, जिसमें आपको 3 सभ्यों का एक ट्रस्ट बनाकर इंडिया ट्रस्ट एक्ट में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है।

यह एक नॉन-प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन होना चाहिए और ट्रस्ट में शामिल सभी सदस्य शिक्षा से जुड़े होने चाहिए। कक्षा पांच तक के स्कूल की मंजूरी के लिए नगर निगम या नगर पालिका का अप्रूवल लेना पड़ता है।

सेकेंडरी स्कूल

अगर आपके पास प्राइमरी स्कूल है तो आपको सेकेंडरी स्कूल के लिए सिर्फ एक एक्सटेंशन करवाना होता है। इसके लिए आपको एनओसी और अन्य आवश्यक डाक्यूमेंट्स के साथ अपने लोकल म्युनिसिपल प्राधिकरण और शिक्षा विभाग से संपर्क करना होता है। कक्षा 6 से 8 तक के स्कूल की मंजूरी के लिए राज्य के शिक्षा विभाग का अप्रूवल लेना पड़ता है।

प्ले स्कूल कैसे खोले? (play school kaise khole)

छोटे बच्चे जिनकी उम्र 3 से 5 साल के बीच होती है ऐसे बच्चों के लिए प्ले स्कूल होता है, जहां पर नन्हे मुन्ने बच्चों को खेल कूद के साथ शिक्षा दी जाती है ताकि मनोरंजन के साथ-साथ उनका मानसिक विकास भी हो। प्ले स्कूल को नर्सरी स्कूल, किड्स स्कूल और प्री स्कूल भी कहा जाता है।

वैसे पहले के समय में प्ले स्कूल का प्रचलन नहीं था। लेकिन अब प्ले स्कूल का काफी ज्यादा प्रचलन शुरू हो गया है और लगभग हर जगह पर प्ले स्कूल देखने को मिल जाते हैं। हर माता-पिता कम उम्र में ही अपने बच्चों के अंदर बाल्यावस्था की सभी योग्यताओं का भरपूर विकास करना चाहते हैं।

इसीलिए प्ले स्कूल की मांग काफी ज्यादा है और यही कारण है कि आर्थिक लाभ कमाने का भी यह एक महत्वपूर्ण जरिया बन गया है। एक शिक्षित व्यक्ति बहुत ही आसानी से प्ले स्कूल खोलकर इसे चला सकता है। लेकिन प्ले स्कूल चलाने के लिए भी एक योजना बनानी पड़ती है और कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है, जो हमने आगे बताया है।

निम्नलिखित तरीकों से प्ले स्कूल खोल सकते हैं:

  • प्ले स्कूल खोलने के लिए सबसे पहले कम से कम तीन सदस्यों वाला एक ट्रस्ट बनाना पड़ता है और फिर इंडियन ट्रस्ट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। जिस भी जमीन पर आप प्ले स्कूल खोलना चाहते हैं, वहां का पूरा कागज और भी कई महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट आपको रजिस्ट्रेशन के समय जमा करवानी पड़ती है।
  • प्ले स्कूल खोलने के लिए भारत में कुछ प्रसिद्ध प्ले स्कूल की फ्रेंचाइजी भी ले सकते हैं। फ्रेंचाइजी लेकर कम निवेश में प्ले स्कूल खोल सकते हैं और जल्दी ग्रो कर सकते हैं।
  • प्ले स्कूल खोलने के लिए जगह का चयन करना बहुत ही जरूरी है और इसके लिए शहरी इलाका बहुत ही बेहतर होता है क्योंकि वहां पर ज्यादातर लोग अपने बच्चों को प्ले स्कूल में भेजते हैं।
  • प्ले स्कूल खोलने के लिए तकरीबन 2000 से 4000 वर्ग फुट जगह की आवश्यकता पड़ती है।
  • प्ले स्कूल खोलने के लिए अच्छी इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी ध्यान देना जरूरी है। क्योंकि प्ले स्कूल में सब बच्चे आते हैं और बच्चों के लिए एक अच्छा वातावरण तैयार करना अनिवार्य है। ऐसे में भवन या इमारत की सास सजावट पर भी ध्यान देना पड़ता है। दीवारों पर आकर्षक चित्रकार जैसे कि पेड़ पौधे, शिक्षाप्रद चित्र, बाल चित्रकार, प्रेरक प्रसंग इत्यादि पर ध्यान देना पड़ता है।
  • अगर आप प्ले स्कूल खोल रहे हैं तो इसकी जानकारी लोगों तक पहुंचाना जरूरी है, जिसके लिए आपको इसके मार्केटिंग पर अच्छे से ध्यान देना होगा। मार्केटिंग करने के लिए बैनर, पेंप्लेट और न्यूजपेपर में एडवर्टाइजमेंट के अतिरिक्त सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की भी मदद ले सकते हैं।
  • प्ले स्कूल में बच्चों को संभालने के लिए स्टाफ की भी जरूरत पड़ती है और स्टाफ की नियुक्ति नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन गाइड लाइन के अनुसार ही करना होता है।
  • प्ले स्कूल में टीचर की नियुक्ति करने के लिए उनके पास सेकेंडरी स्कूल सर्टिफिकेट या फिर प्री स्कूल टीचर एजुकेशन प्रोग्राम के तहत कम से कम 1 साल का डिप्लोमा/सर्टिफिकेट होना जरूरी है या फिर b.ed की डिग्री होना जरूरी है।

प्राइमरी स्कूल खोलने के नियम

भारत में अलग-अलग कक्षा के अनुसार अलग-अलग स्कूल है। यहां पर कक्षा पांचवी तक की पढ़ाई जिस विद्यालय में होती है, उसे प्राइमरी स्कूल यानी कि प्राथमिक विद्यालय कहा जाता है। ऐसे स्कूलों में 5 से 11 वर्ष के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं।

भारत में प्राइमरी स्कूल खोलने के जो भी महत्वपूर्ण नियम है, वह इस प्रकार हैं:

  • प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए आप जिस भी स्थान का चयन करते हैं, वहां से तकरीबन 1 किलोमीटर के दायरे में कोई अन्य स्कूल नहीं होना चाहिए।
  • प्राइमरी स्कूल आप तभी खोल सकते हैं जब वहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कम से कम 30 हो।
  • प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए कम से कम आधा एकड़ जमीन होना अनिवार्य है।
  • अगर आप प्राइमरी स्कूल खोलते हैं तो इसके लिए आपको एक संस्था का निर्माण करना पड़ता है, जिसमें कम से कम 9 से 11 लोग शामिल हो।
  • प्राइमरी स्कूल के भवन का निर्माण होते ही आपको रजिस्टार के पास जाकर इसका रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है, जिसके लिए तकरीबन 12 से 15 हजार खर्च हो सकते हैं। उसके बाद आपको आपके संगठन के लिए सर्टिफिकेट मिल जाएगा।
  • स्कूल का नया सैशन हर साल अप्रैल से मई महीने में शुरू होता है और इन्हीं महीना के दौरान ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू होती है। ऐसे में आप इन्हीं महीने के दौरान प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
  • आवेदन करने के बाद आपको आवेदन फार्म और अपने संस्था के सर्टिफिकेट को डीओ कार्यालय में जमा करना होता है, जिसके बाद सरकार के तरफ से कुछ अधिकारी आपके स्कूल में निरीक्षण करने के लिए आते हैं। आपको डॉक्यूमेंट दिखाना होता है। आपका स्कूल सभी कटोती से उतरने के बाद आपको प्राइमरी स्कूल खोलने का परमिशन मिल जाता है।

स्कूल का रजिस्ट्रेशन कैसे होता है?

  • भारत में एक विद्यालय खोलने के लिए एक समिति या ट्रस्ट का निर्माण करना पड़ता है। यहां उपलब्ध नियम और कानून के मुताबिक निजी संगठन स्कूल नहीं चला सकती है।
  • वैसे अगर कोई निजी संस्था स्कूल खोलना चाहते हैं तो वह कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के अनुसार कंपनी स्थापित कर सकती हैं लेकिन यह स्कूल गैर लाभकारी संस्था के अंतर्गत माना जाएगा।
  • स्कूल खोलने के लिए रजिस्ट्रेशन तभी होगा जब आप 5 से 6 सदस्यों का एक ट्रस्ट या समिति बनाएंगे, जिसमें आधिकारिक तौर पर घोषित बोर्ड का एक अध्यक्ष, एक सचिव और ट्रस्ट का एक अध्यक्ष होगा।
  • स्कूल खोलने के लिए आपको एनओसी और अन्य आवश्यक अप्रूवल लेने की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए आपको म्युनिसिपल प्राधिकरण, शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग के ऑफिस में जाना होगा।
  • स्कूल के लिए एनओसी प्राप्त करने के लिए 3 साल के भीतर उसके निर्माण कार्य को शुरू करना पड़ता है।
  • स्कूल के भवन का निर्माण होने के बाद एफीलिएशन अथॉरिटी से एफीलिएशन कराना पड़ता है, जिसके लिए उस भूमि पर निरीक्षक को भेजा जाता है, उनके संतुष्टि के पश्चात ही स्थाई एफीलिएशन स्कूल को प्रदान किया जाता है।
  • स्कूल के रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आपके पास बेसिक स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर, इंटीरियर और योग्य स्टाफ होना अनिवार्य है।
  • स्कूल के रजिस्ट्रेशन अलग-अलग कक्षा के लिए अलग-अलग तरीके से होता है। कक्षा 5 तक के स्कूल के लिए मान्यता वहां के नगर निगम या नगर पालिका जैसे स्थानीय प्राधिकरण देते हैं।
  • 6 से 8वीं कक्षा तक के स्कूल के रजिस्ट्रेशन के लिए संबंधित राज्य के शिक्षा विभाग से संपर्क करना पड़ता है।
  • हायर सेकेंडरी स्कूल का मान्यता प्राप्त करने के लिए उस समिति या ट्रस्ट के पास स्कूल चलाने का 2 साल का अनुभव होना जरूरी है।

स्कूल के लिए जगह का निर्धारण

स्कूल बिज़नेस में सफलता के लिए जगह का योग्य लोकेशन बहुत जरुरी है। स्कूल के लिए पर्याप्त जमीन के साथ आस पास का माहौल भी अच्छा होना बहुत जरुरी है। आपके पास स्कूल के लिए जगह के दो विकल्प है। एक तो आप खुद की जमीन खरीद लो या फिर आप उसे किराये पर भी ले सकते हैं।

शिक्षा विभाग न्यूनतम 8000 वर्ग मीटर क्षेत्र की आवश्यकता निर्दिष्ट करता है, लेकिन भारत में स्कूल शुरू करने के लिए 6000 वर्ग मीटर जितनी छोटी भूमि के लिए भी संबद्धता प्रदान कर सकते हैं।

जब आपके पास अपनी जमीन हो, तो आपके क्षेत्र में शिक्षा विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करना होगा।

स्कूल के लिए मार्केटिंग 

किसी भी बिजनेस को चलाने के लिए मार्केटिंग अहम हिस्सा होता है। अगर आप स्कूल का बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं तो आपको ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार के मार्केटिंग पर ध्यान देना होगा।

स्कूल के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग में स्कूल की वेबसाइट तैयार करना, डिजिटल मार्केटिंग करना, मोबाइल एप्प बनाना और सोशल मीडिया जैसे यूट्यूब चैनल, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर स्कूल का एक आधिकारिक पेज बनाना, जिसमें स्कूल की रोजना गतिविधियों को अपलोड करना जैसी चीजें शामिल होती है।

ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिये आप एक सशक्त ऑनलाइन कम्युनिटी बना सकते हैं। स्कूल के लिए ऑफलाइन मार्केटिंग में पोस्टर, होर्डिंग्स बनाना, फ्लायर्स छपवाना जैसी चीजें शामिल होती है। इसके अलावा आप छात्र की तेजस्विता के अनुसार एनुअल फीस या ट्यूशन फीस में डिस्काउंट में दे सकते हैं।

निष्कर्ष

स्कूल खोलना एक मुश्किल प्रक्रिया है क्योंकि इसमें कुछ लीगल औपचारिकताएं होती हैं, जिनका पूरा करना अनिवार्य होता है तभी आप स्कूल खोल सकते हैं। इस लेख में स्कूल कैसे खोलें (school kaise khole) की विस्तार से जानकारी दी।

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