स्कूल कैसे खोले? (प्रक्रिया, नियम, रजिस्ट्रेशन)

School Kaise Khole: नमस्कार दोस्तों, सभी लोग जानते हैं कि विद्यालय वह स्थान होता है, जहां पर सभी बच्चे अपने अध्ययन के लिए आते हैं। सभी बच्चों को शिक्षकों के द्वारा पढ़ाई करवाई जाती हैं। आज हमारे देश में सरकारी या गैर-सरकारी विद्यालय और अधिक संख्या में होने जा रहे हैं, इसका प्रमुख कारण हमारे देश की बढ़ती हुई जनसंख्या है।

School Kaise Khole
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इसलिए प्रमुख उद्देश्य लोगों को शिक्षित करना है। अधिक से अधिक संख्या में बच्चों को शिक्षित करके देश का भविष्य बना सके। आइए जानते हैं किस प्रकार से हम विद्यालय खोल सकते हैं, इसको खोलने के लिए किन-किन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। आइए जानते हैं।

स्कूल कैसे खोले? (प्रक्रिया, नियम, रजिस्ट्रेशन) | School Kaise Khole

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स्कूल कैसे खोलें?

आज हमारे देश में जनसंख्या बहुत अधिक होने के कारण देश में नया स्कूल खोलने का काम बहुत अच्छे से किया जा सकता है। स्कूल खोलने के लिए कम निवेश कर अधिक मुनाफा भी प्राप्त कर सकते हैं। जैसे-जैसे हमारे देश की आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इससे विद्यालयों की भी मांग अधिक होती जा रही है। आप अगर नया स्कूल खोलने के लिए सोच रहे हैं तो यह आपके लिए बहुत अच्छा अवसर हो सकता है। आप इस स्कूल को कम पैसे निवेश करके भी शुरू कर सकते हैं।

आज हमारे देश में सरकारी स्कूल भी बहुत खुले हुए हैं, लेकिन यहां पर पढ़ाई का स्तर बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। सरकार तो बहुत सी योजनाएं चलाकर स्कूलों के लिए बहुत काम करवा रही है, लेकिन सरकार के द्वारा जो भी फंड स्कूलों के लिए जारी होता है। वह कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों की वजह से स्कूल की तरफ पहुंचते-पहुंचते खत्म हो जाता है। इसलिए स्कूलों में व्यवस्था सही नहीं हो पाती है।

ऐसे में हर मां-बाप सोचते हैं कि अपने बच्चे का प्राइवेट स्कूल में एडमिशन करवा करके उनके भविष्य सुरक्षित करें। इसीलिए आज स्कूल खोलना बहुत फायदेमंद होता जा रहा है। जैसे जैसे लोगों को पढ़ाई का महत्व समझ में आ रहा है वैसे ही लोग शिक्षा की तरफ पड़ रहे हैं। अधिकतर गांव में लोग बच्चों को पढ़ा लिखा कर शिक्षक बना रहे हैं, इसलिए आज स्कूलों की बहुत अधिक मांग बढ़ती जा रही है।

स्कूल खोलने के लिए योजना

सबसे पहले स्कूल खोलने के लिए आपको एक योजना बनानी होती है। इसके अंतर्गत सबसे पहले यह सोचना होगा कि प्री स्कूल, कक्षा 5, सेकेंडरी स्कूल, सीनियर सेकेंडरी स्कूल इन सभी मे से किस प्रकार की स्कूल खोलना चाहते हैं।

सभी स्कूल के लिए आपको, म्युनिसिपलटी की परमिशन के साथ, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की आज्ञा के बिना आप कोई भी स्कूल नहीं खोल सकते है। अगर इससे भी ऊपर का स्कूल खोलना चाहते हैं तो उसके लिए  केंद्रीय शिक्षा बोर्ड की परमिशन ले लेना बहुत जरूरी होता है। इसके बिना आप स्कूल नहीं खोल सकते।

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स्कूल खोलने के लिए जगह

स्कूल खोलने के लिए जगह स्कूल किस तरह का खोलना चाहते हैं, उसके हिसाब से ही किराए पर या खरीदनी पड़ती है।

प्राइमरी स्कूल के लिए जगह

जब भी आप स्कूल खोलने के लिए सोच रहे हैं तो इसके लिए सबसे जरूरी जगह का होना होता है। हमें ऐसी एक जगह का निर्धारण करना होता है, जिसमें विद्यार्थियों के लिए खेलने के लिए एक मैदान की व्यवस्था भी होनी चाहिए। ऐसी जगह के लिए शहर में ही देखना सही होगा, क्योंकि वहां पर सभी मूलभूत सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो सकती है, जिनकी आज के समय में सभी को आवश्यकता है।

सेकेंडरी स्कूल के लिए जगह

अगर आप सेकेंडरी स्कूल खोलना चाहते हैं तो इसके लिए शहर में ऐसी जगह देखनी होगी, जहां पर आईटी हब हो और ऐसी जगह पर आप को विद्यार्थी भी आसानी से मिल जाएंगे। इन जगहों पर आप आईबी, आईसीई या फिर सीबीएसई स्कूल का खोलना आपके लिए आसान सा हो जाएगा। इसके अलावा पहले से ही आप यह देख लें कि आप जो जगह स्कूल के लिए देख रहे हैं, उसके आसपास कोई और सीनियर सेकंडरी विद्यालय तो नहीं है।

सीनियर सेकेंडरी स्कूल के लिए जगह

इन सभी प्रकार के स्कूल के लिए आपने अपने पसंद के अनुसार जो भी जमीन ली है, उनके सब के अलग-अलग कीमत होती है या फिर यह कह सकते हैं कि उनका अलग रेंट हो सकता है। सीबीएससी स्कूल को शुरू करने के लिए कम से कम 1 एकड़ जमीन का होना जरूरी है और अगर यह आप शहर से बाहर अगर आप जमीन लेते हो तो आपको 1.5 एकड़ जमीन की जरूरत पड़ सकती है।

स्कूलों के प्रकार

जब भी आपका विद्यालय खोलने का मन है तो सबसे पहले आपको यह सोचना होगा कि आप किस तरह का विद्यालय खोलना चाहते हैं जैसा कि आप जानते हैं आज हमारे देश में प्री, नर्सरी, प्ले स्कूल से लेकर सीनियर सेकेंडरी स्कूल तक खोलें जा रहे हैं। आइए जानते हैं कितने प्रकार के कौन होते हैं, इन सभी के बारे में विस्तृत जानकारी।

प्राइमरी स्कूल खोलने की प्रक्रिया

हमारे भारत के संविधान में आर्टिकल 21ए के अंतर्गत 2009 में सरकार के द्वारा एक नियम बनाया गया था। “दी एक्ट टू एजुकेशन” के अनुसार 6 से 14 साल के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का होना सरकार के द्वारा अनिवार्य कर दिया है। लेकिन अभी एक हमारे देश में बहुत बड़ी समस्या है। वो यह है कि हमारे देश के 6 से 14 साल के बच्चे अब भी पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं। ऐसे में जब आपका मन प्राइमरी स्कूल खोलने का है तो आपको सरकार के द्वारा सभी नियमों का बहुत ध्यान पूर्वक पालन करना होगा।

प्राइमरी स्कूल के लिए बजट

प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए आपको अपना एक बजट निर्धारित करना होगा। इसके लिए सबसे पहले इन्वेस्टमेंट, इंट्राफास्ट्रक्चर, जरूरत, विज्ञापन और स्कूल के आवश्यक सामानों के ऊपर भी निर्भर करता है। इन सभी चीजों के लिए आप कितना बजट निर्धारित कर सकते है, यह आपके खुद पर निर्भर करता है।

प्राइमरी स्कूल खोलने के लिए लोन

भारत सरकार के द्वारा महिलाओं के लिए खुद का प्री स्कूल खोलने के लिए कुछ योजनाएं चलाई गई है, जिसके अंतर्गत महिलाएं बैंक के द्वारा लोन भी ले सकते हैं। इस लोन की राशि को 5 साल के अंतर्गत चुकाया जा सकता है।

प्राइमरी स्कूल के लिए स्टाफ

सरकार के द्वारा एनसीटीई की गाइड लाइन के अनुसार टीचर और अन्य स्टाफ की भर्ती के लिए आपको सही लोगों की नियुक्ति करनी होगी। इन सभी के लिए एक सबसे पहले सेकेंडरी स्कूल का सर्टिफिकेट का होना अनिवार्य है। इसके अलावा सभी टीचर के पास कम से कम 1 साल का डिप्लोमा सर्टिफिकेट शिक्षा के क्षेत्र में होना जरूरी है या फिर जो भी इच्छुक अभ्यर्थी हैं, उनका बीएसटीसी, B.Ed की डिग्री का होना भी जरूरी होता है।

सकेंडरी स्कूल खोलने की प्रक्रिया

सकेंडरी स्कूल के अंतर्गत कक्षा 10 तक के विद्यालय आते हैं। आज हमारे देश में बहुत अधिक संख्या में ऐसे विद्यालय आपको बहुत मिल जाएंगे। आइए जानते हैं सकेंडरी स्कूल के लिए सरकार के द्वारा क्या-क्या गाइडलाइन नियुक्त की गई है।

सेकेंडरी स्कूल के लिए ट्रस्ट

सेकेंडरी स्कूल अगर आप खोलना चाहते हैं, इसके लिए आपको एक संस्था गठित करनी होगी। इसमें कम से कम 3 सदस्यों को शामिल करना पड़ेगा। तभी सेकेंडरी स्कूल को खोल सकते हैं, क्योंकि इसमे बहुत जरूरी कार्रवाई होती है। जो एक संस्था के द्वारा स्कूल के सभी कार्य आसानी से कर सकते हैं।

सकेंडरी स्कूल खोलने के लिए बजट

सेकेंडरी स्कूल खोलने के लिए आपको एक प्लान बनाना होगा, उसके बाद ही आपको स्कूल का कार्य शुरू करना है। इसके अंतर्गत विद्यालय की इंफ्रास्ट्रक्चर की डिटेल बजट, इन्वेस्टमेंट ह्यूमन रिसोर्सेज रिक्रूटमेंट एडमिनिस्ट्रेशन प्लान और भी अन्य प्रकार की सुविधाओं को आपको अपने बजट के अंदर का तिथि निर्धारित करना होगा।

सेकेंडरी स्कूल के लिए रजिस्ट्रेशन

पहले इंडिया ट्रस्ट एक्ट या सोसाइटी रजिस्ट्रेशन में अपने स्कूल के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। इसका मतलब यह होता है कि जो स्कूल खोल रहे है, उसका उपयोग आप शिक्षा के लिए ही करना चाह रहे हैं तथा इससे द्वारा किसी का या खुद को कोई ओर फायदा तो नहीं होगा। सभी सदस्यों को कोई भी खुद के लिए काम करने की परमिशन नहीं होती है। सभी के पास शिक्षा का अपना अनुभव होना जरूरी होता है।

सेकेंडरी स्कूल के लिए जमीन

स्कूल के लिए जगह के साथ कागजात का होना बहुत जरूरी होता है या तो आप उस बल्डिंग को खरीद सकते हैं या फिर उस जमीन को या बिल्डिंग को लीज पर भी ले सकते हैं। वैसे अगर स्कूल खोलने के लिए आप जगह देख रहे हैं तो आपकी खुद की जगह है तो बहुत सही रहता है। क्योंकि उसकी जगह में आप अपने हिसाब से विद्यालय का निर्माण कार्य अच्छे से करवा सकते हैं।

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सीनियर सेकेंडरी स्कूल खोलने की प्रक्रिया

सेकेंडरी स्कूल के बाद अगर अपने क्लास को बढ़ाना चाह रहे है तो इसके लिए आपको सीनियर सेकेंडरी स्कूल तक के लिए सरकार से परमिशन लेनी होगी और इसके बाद सीनियर सेकेंडरी स्कूल खोल सकते हैं। इसके लिए बहुत जिम्मेदारियां ओर बढ़ जाती है तथा स्कूल की आगे की क्लास के लिए 1 वर्ष के लिए ऒर बढ़ जाएगी।

सीनियर सेकेंडरी स्कूल के लिए आप जैसे ही कागजात पर काम करना शुरू कर देते है तो आपको अपने कानूनी कागजात भी साथ में तैयार करने होंगे। इसके लिए आपको एनओसी और अन्य अप्रूवल डॉक्यूमेंट तैयार करने होंगे। अपने लोकल नगरनिगम प्राधिकरण, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग आदि से संपर्क करना होगा। इसके बाद ही सीनियर सेकेंडरी स्कूल खोलने के लिए तैयार हो सकते हैं।

स्कूल के लिए फीस का करें सही निर्धारण

जब भी आप विद्यालय को खोलने की योजना बना रहे हैं, उसके लिए आपको सभी बच्चों को भविष्य के लिए और अपने स्कूल के फायदे के लिए स्कूल की फीस का निर्धारण सही रूप से करना होगा। इसके लिए आपको सालाना की अलग-अलग कक्षा के हिसाब से बनानी होगी। इससे किसी भी माता-पिता को कोई परेशानी ना हो।

  • पहली क्लास की फीस – 7000 रुपये
  • दूसरी क्लास की फीस – 7500रुपये
  • तीसरी क्लास की फीस – 8000रुपये
  • चौथी क्लास की फीस – 8500 रुपये
  • पॉचवी क्लास की फीस – 9000 रुपये

जब भी आपका स्कूल खोलने का मन है और आप उस प्राइमरी स्कूल से आगे क्लास बढ़ाना चाहते है तो उसके लिए आपको अलग से शिक्षा बोर्ड से परमिशन लेनी होगी, उसके लिए आपको अपना स्टाफ भी बढ़ाना होगा। कम से कम 8 से 10 टीचरों की व्यवस्था आपको अलग से करनी होगी।

स्कूल के एडमिशन के लिए प्रचार

पेम्पलेटस व समाचार पत्र के माध्यम से

स्कूल के प्रचार के लिए आपको सबसे पहले अपने स्कूल के नाम से अच्छे पंपलेट छपवा कर आपको अपने स्कूल का प्रचार सही ढंग से करना होगा। इसके लिए आपको उन पेम्पलेट्स में ज्ञानवर्धक शब्दों का प्रयोग करके अच्छे प्रकार के ट्रांसलेशन वाले होंगे, जिससे लोगों को पढ़ने के साथ आपके विद्यालय में बच्चों के एडमिशन के लिए आसानी से आ सके।

ऑनलाइन के माध्यम से

इसके अलावा न्यूज़पेपर में, टीवी पर भी एडवर्टाइजमेंट करके अपने स्कूल का प्रचार कर सकते हैं। अपने स्कूल के प्रचार के लिए लोगों को स्कूल के फायदों के बारे में समझाना होगा।

स्कूल में जो फैसिलिटी विद्यार्थियों के लिए आप दे रहे है, उन सभी के बारे में लोगों को बताना होगा। ताकि लोग अधिक से अधिक संख्या में अपने बच्चों का एडमिशन आपके स्कूल में करवा सकते हैं। आप ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से भी अपने स्कूल का प्रचार कर सकते हैं।

स्कूल खोलने के लिए कुछ विभिन्न योजनाएं व विशेष नियम

आप जब अपना स्कूल खोल रहे है, उसके लिए आपको अन्य विद्यालयों की तुलना में कुछ अलग प्रकार के नियम और योजनाएं विद्यालय के लिए बनानी होंगी। जिसके अंतर्गत सबसे पहले आपको सभी अध्यापकों के लिए उनकी उपस्थिति भी दर्ज करनी होगी।

जब बच्चे विद्यालय में आएगे और प्रार्थना सभा में सब एक जगह एकत्रित होंगे, वहां पर प्रार्थना के अलावा, बच्चों के लिए कुछ प्रश्नोत्तरी के कार्यक्रम, कविताएं, शिक्षाप्रद कहानी आदि भी शामिल करनी होनी। जिससे विद्यार्थियों को कुछ ज्ञानवर्धक बातें सुनने को और सीखने को मिल सके।

  • जब भी अध्यापक अपनी कक्षा में जाते हैं तो सबसे पहले आपको विद्यार्थियों की उपस्थिति लेनी अनिवार्य होगी, उसके बाद ही आप अपने पाठ्यक्रम के अनुसार विद्यार्थियों को पढ़ा सकते हैं।
  • जब विद्यालय में बच्चों के लिए खाने का लंच ब्रेक होता है, उसमें अक्सर क्लास रूम में ही बैठकर बच्चे को खाना खिला दिया जाता है। लेकिन अपने विद्यालय के लिए कुछ अलग करें और बच्चों के लंच ब्रेक में सभी कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बिठाकर भगवान की प्रार्थना करवा कर ही खाना शुरू करने को कहें।
  • बच्चों की पढ़ाई खेल और मनोरंजन के साथ आजकल समझ आती है तो आप भी यह प्रक्रिया को जारी रख सकते हैं। जिससे बच्चों को कोई असुविधा ना हो।
  • हर महीने बच्चों के चेकअप के लिए भी आपको अपने विद्यालय में व्यवस्था रखी होगी। ताकि बच्चों का आपको शारीरिक विकास के बारे में और बीमारियों के बारे में भी आपको पता चल जाए।
  • छुट्टी होने पर भी अपने विद्यालय के कुछ नियम होने चाहिए। सभी बच्चों को उनके अभिभावकों के साथ की अब उनके घर पर भेजना अनिवार्य होना चाहिए।
  • आपको अपने विद्यालय में सप्ताह के अंत में बाल सभा, प्रतियोगिताएं आदि का भी आयोजन करना चाहिए और जब किसी महापुरुष की जयंती हो, उस दिन भी आपको बच्चों के साथ मनानी चाहिए। ताकि बच्चों को इन सभी चीजों के बारे में जानकारी मिल जाए।

स्कूल खोलने के बाद मिलने वाला प्रॉफिट

विद्यालय में सभी खर्चों को काटने के बाद में कम से कम 30 से 40 हजार रुपये महीना आसानी से कमा सकते हैं। क्योंकि विद्यालय में  जो महीने में पैसा मिलता है, उसमें अध्यापकों की सेलेरी भी देनी होती है।

इसके अलावा विद्यालय में बिजली का खर्चा, बिल्डिंग का किराया औऱ भी अन्य प्रकार के बहुत से ऐसे खर्चे होते हैं, जिनको खर्च करना ही पड़ता हैं। जैसे-जैसे आपके स्कूल में विद्यार्थी बढ़ते जाएंगे वैसे मुनाफा भी मिलता जाएगा।

स्कूल टीचर के लिए कानूनी नियम

प्राइमरी स्कूल के अध्यापक हैं तो आपको एक सरकार के द्वारा विशेष नियम पर ध्यान देना होगा। क्योंकि जब भी कोई विद्यार्थी कोई गलती करता है तो आप उसको मारपीट नहीं सकते हैं। हमारे भारतीय कानून में किसी भी बच्चे पर हाथ उठाना कानूनन जुर्म कहलाता है, इसीलिए इस बात का विद्यालय में विशेष ध्यान रखना होगा।

अपनी कक्षा के सभी बच्चों के साथ में बहुत प्यार से पेश आना होगा। जितना हो सके बच्चों को प्यार से समझाओ, उन पर हाथ उठाने की बिल्कुल भी कोशिश ना करें। इससे टीचर का भविष्य खराब तो होगा ही, इसके साथ आपके स्कूल का भी नाम बिल्कुल बदनाम कर जाएगा।

विद्यालय में शिक्षक की भूमिका

सभी विद्यालय में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका एक अध्यापक की होती है। क्योंकि अध्यापक विद्यार्थियों को ज्ञानवर्धक बातें सिखाता है तथा उनको भविष्य में बहुत ऊंचाइयों तक जाने की प्रेरणा भी देता है। शिक्षक का पहनावा विद्यालय में एक शिक्षक की तरह होना चाहिए। इसके अलावा शिक्षक को हमेशा अपने अनुशासन में रहकर ही बच्चों को पढ़ाना चाहिए।

एक शिक्षक को हमेशा बच्चों को सही दिशा निर्देश देते हुए आगे बढ़ाना चाहिए, क्योंकि बच्चे बहुत कोमल स्वभाव के होते हैं। वह एक गीली मिट्टी की तरह होते हैं, उनको जिस सांचे में ढालो वैसे ही ढल जाते हैं।

स्कूल खोलने में कोई रिस्क तो नहीं

स्कूल खोलने में कमाई तो बहुत होती है लेकिन कमाई से ज्यादा स्कूलों में बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट भी करने पड़ते हैं। बहुत से ऐसे खर्चे हो जाते हैं, जिनको करना भी जरूरी होता है। स्कूल खोलने में कोई रिस्क तो नहीं होता, लेकिन फिर भी आज मार्केट में देखते हैं कि कितने स्कूल खुल गए हैं। जिनमें इतना कंपटीशन हो रहा है कि डर लगता है कहीं स्कूल चल पाएगा कि नहीं चल पाएगा।

अगर आप स्कूल छोटे स्तर से भी शुरू करना चाहते हैं, उसके लिए भी बहुत रिस्क सा लगता है। अगर किसी बड़े स्कूल की आपको फ्रेंचाइजी मिल जाए तो वह आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। क्योंकि उसके लिए आपको ज्यादा कुछ मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उसके नाम के द्वारा ही आपको अच्छे एडमिशन मिल जाएंगे। स्कूल कैसे खोलें के बारे में आपको पता चल जाएगा।

FAQ

स्कूल खोलने के लिए कम से कम कितने रुपए की आवश्यकता होती है?

15 से 20 लाख रुपये।

स्कूल किस प्रकार के होते हैं?

प्ले स्कूल, प्राइमरी स्कूल, सीनियर स्कूल, सेकेंडरी स्कूल।

स्कूल खोलने में आपको कितना मुनाफा प्राप्त होती है?

30से 40 हजार रुपये।

स्कूल खोलने के लिए सरकार से भी मान्यता भी लेनी होती है?

सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त स्कूल मान्य होते हैं।

क्या स्कूल खोलने का व्यापार करना सही होगा?

जी हां।

क्या सरकार के द्वारा महिलाओं को विद्यालय खोलने के लिए लोन दिया जा सकता है?

जी हां।

निष्कर्ष

हमारे देश में आज स्कूल खोलना बहुत फायदेमंद है। इसमें आप एक बार इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं लेकिन आपको इससे अच्छा मुनाफा प्राप्त हो सकता है। आज हर जगह पर इतने स्कूल खुलते जा रहे कि एक और नया स्कूल खोलने के लिए थोड़ा डर सा लगता है। लेकिन अगर आप सही दिशा में मेहनत करते हो तो इस व्यापार में आपको सफलता जरूर मिलेगी। आपको अगर कोई फ्रेंचाइजी मिल जाती है तो वह आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।

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